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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

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थामस अंकल

दोपहर तक वीणा रहने के लिए कैथरीन के घर पर आ गई थी। दोनों दोस्तों के लिए घर अब उस खुले मैदान की तरह था, जिसमें वो दोनों जो चाहे कर सकती थीं।

“तो फिर 21जून के लिए क्या सोचा” वीणा ने कैथरीन से कहा।

“तो तुझे मेरा जन्मदिन अभी-भी याद है? चिंता मत कर मेरी माँ, तुझे पार्टी मिल जाएगी और हाँ, मैं राहुल को भी बुला लूँगी, अब ठीक है ना” कैथरीन ने जवाब देते हुए आँख मारी। राहुल को बुलाना है तो बुला ले, मुझे क्या? वैसे मेरा और उसका कुछ नहीं है, तेरा जन्मदिन वर्ल्ड योगा डे के दिन जो है, याद तो रहेगा ही...अरे नहीं.. मैंने तो तुझसे पूछा ही नहीं कि अब तेरी तबियत कैसी है? वीणा ने कैथरीन से पूछा। “अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ।” कैथरीन ने संक्षिप्त जवाब दिया परंतु दो पल के लिए उस का मन हुआ कि वो अपने भ्रम या सपने के बारे में वीणा को बताये, लेकिन फिर उसने वीणा को बताने की बात त्याग दी।

“कहाँ खो गईं, मिस कैथरीन।” वीणा ने कैथरीन के चेहरे के पास चुटकी बजाते हुए पूछा।

“कहीं नहीं, वैसे तेरी फिजिक्स की तैयारी कैसी है? मेरी तो ओके है।” कैथरीन ने वीणा को प्रत्युत्तर और प्रश्न एक साथ किया।

“बिल्कुल अच्छी है, वैसे भी बायोलाजी में तुझे और फिजिक्स में मुझे कोई पकड़ भी पाया है क्या”, वीणा ने कहा।

“क्या खाएगी? मेरी जान के अलावा” कैथरीन ने हँसते हुए पूछा।

“मम्मी जी पोहे बना दो, प्याज जरूर डालियो वीणा ने कहा।

इसके बाद कैथरीन उठी, रसोई में गई और कुछ समय में पोहे और गर्मागर्म चाय लेकर आ गई। दोनों दोस्त खूब मजे ले-लेकर खाने लगीं।

अगला पूरा सप्ताह दोनों ने मन लगाकर पढ़ाई की, परीक्षाएं भी दीं और मजे भी किये। लेकिन 8मई की सुबह वीणा अपना सामान लेकर अपने घर चली गई। आज दोपहर को मि. जेसन आने वाले थे तो कैथरीन पढ़ाई करने बैठ गई।

दोपहर 3बजे डोरबेल बजी। कैथरीन ने जाकर दरवाजा खोला तो मुस्कुराते हुए मि. जेसन खड़े थे। पापा को देखते ही कैथरीन उनके गले लग गई।

“ हमारी परी कैसी है?” पापा (मि.जेसन) ने हँसते हुए पूछा।

“मैं ठीक हूँ, पापा...आप और थामस अंकल कैसे हैं?” कैथरीन ने पूछा।

“मैं ठीक हूँ और तुम्हारे थामस अंकल भी ठीक हैं। और हाँ.. उन्होंने तुम्हारे लिए मिठाई भेजी है, इसे खाना जरूर।” पापा ने एक थैले की तरफ इशारा करते हुए कहा।

आधा घंटे बाद पापा और कैथरीन आँगन में बैठे हुए थे और कैथरीन के हाथ में एक प्लास्टिक का डब्बा था, जिसमें चाकलेटी कलर की बर्फी जैसी मिठाई थी और कैथरीन फटाफट उसे खाये जा रही थी।

“बस 6पीस ही भेजे अँकल ने, थोड़ी और भेजते तो अच्छा रहता।” कैथरीन ने आखिरी टुकड़ा खाते हुए कहा।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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