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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

मार्च का बचा हुआ महीना पंख लगा कर उड़ गया। आज 2 अप्रैल है, कैथरीन जब शाम को लौटी तो घर के मुख्य दरवाजे की दरार में एक चिट्ठी फँसी हुई दिख रही थी। उसने चिट्ठी को निकाला और नाम पढ़ा। उस पर “जेसन कोलिन” नाम था जो कि उसके पापा का नाम था, उसने लिफाफे को उल्टा किया ताकि देख सके कि किसने भेजा है।

“बस उसने न भेजा हो।” कैथरीन ने मन ही मन बुदबुदाते हुए कहा। परन्तु पीछे का नाम पढ़कर उसका चेहरा फिर से बुरा-सा बन गया क्योंकि इस पर उसी का नाम था, जिसे वो नहीं चाहती थी, यानी मिस्टर “थामस अंकल” ।

आज रात को पापा देर से आने वाले थे क्योकि वो किसी अंकल की बेटी की शादी में गये हैं। कैथरीन ने खुद के लिए खाना बनाया, खाया और खुद की पसंदीदा डायरी लिखने बैठ गई। कैथरीन अपनी डायरी को किट्टू कहती थी, कैथरीन ने पेन लिया और अपनी लाल रंग की मोटी सी किट्टू में तारीख डालकर लिखना शुरू किया :-

2 अप्रैल 2018,
माई डियर किट्टू,

आज फिर उन्हीं थामस अंकल की चिट्ठी आई है, यह अंकल साल में एक बार जिन्दा हो जाते हैं, बाकी पूरे साल न चिट्ठी भेजते हैं, न ही फोन करते हैं। फोन तो वो कभी-भी नहीं करते खैर.. छोड़ो। किट्टू तुम तो जानती ही हो मेरी मम्मी तो मुझे जन्म देते ही मर गई थीं, उन्हें सांता अंकल ने अपने पास बुला लिया था, पापा ने ही मेरी हर जरूरत का ख्याल रखा है और उन्होंने ही मुझे बड़ा किया है।

तुम तो जानती हो कि पापा साइंस में काफी अच्छे हैं और क्यों न हों? वो करीब मेरे जन्म से ही शहर के सबसे बड़े कोचिंग इन्स्टीट्यूट में केमिस्ट्री के लेक्चरार हैं, उनके लेक्चर सुनने तो बड़े-बड़े लोग भी आते हैं, केमिस्ट्री के प्रैक्टिकल तो ऐसे करते हैं, मानो हर स्टेप दिमाग में फिट हो, वैसे मुझे इसका काफी गर्व है।

लेकिन किट्टू उनसे कहना मत, मैंने उनसे ही तो प्रेरित होकर साइंस-बायो में बी.एस.सी. करने की सोची और देखो 2-3 महीने में ग्रेजुएट हो जाऊँगी, वो भी 90% से। पापा वाकई बहुत अच्छे हैं।

लेकिन किट्टू मैं फिर भी पापा से नाराज हूँ। वजह तो तुम जानती हो.. हर साल की तरह इस साल भी थामस अंकल की चिट्ठी आ गई है। पापा की 3 चीजें मेरे लिए एक मिस्ट्री की तरह हैं। पहली चीज है उनकी डायरी और डायरी का बाक्स। पापा अपनी डायरी कई बार लिखते हैं लेकिन मुझे पढ़ने नहीं देते और यहाँ तक कि उसे लकड़ी के बाक्स में छिपाकर रखते हैं, जिसे खोलने का भी पासवर्ड है जो मुझसे छिपाकर रखा है। मैंने कई बार पूछा पर वो हर बार हँसकर टाल देते हैं। किट्टू मैंने भी तुम्हें इसलिए लिखना शुरू किया है ताकि जब वो तुम्हें पढ़ना चाहें तो मैं भी उन्हें पढ़ने नहीं दूँगी खैर...।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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