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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

“बाबा यह कैसे?” कैथरीन ने बोलने की कोशिश की परंतु उसके शब्द गले में ही रह गये।

“बेटा यह प्राचीन आयुर्वेद की विद्या है, जो अब लुप्तप्राय है।” बाबा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“बाबा फिर आप मेरे साथ क्यों आए? यह काम तो आप वहाँ पर भी कर सकते थे? इतना दर्द और तकलीफ इतने समय तक क्यों सही? कैथरीन ने अचानक बहुत सारे सवाल पूछ डाले।

बाबा मुस्कुराए और कहने लगे, “इतने सारे लोगों के सामने इस विद्या का प्रयोग करना अनुचित होता बेटा, फिर तुम्हें देखने की भी इच्छा थी, सो पूरी करने हेतु मुझे तो आना ही था, बेटा।”

“क्या आप मुझको जानते हैं बाबा?” कैथरीन ने असमंजस और हैरानी के भाव से पूछा।

पर बाबा ने कुछ नहींकहा केवल स्नेह से मुस्कुराते रहे। फिर धीरे से बोले, “जल लाना बेटा।” कैथरीन उनकी बात को सुनकर चौंकी, और मुस्कुराते हुए अंदर पानी लेने चली गयी। ट्रे में गिलास भरकर पानी लायी और सोफे पर बैठे बाबा को दिया। बाबा ने पानी पीकर गिलास वापस दिया और चलने को उठ खड़े हुएऔर दरवाजे की तरफ चल पड़े। साथ में कैथरीन भी गिलास पकड़े उनके पीछे चल रही थी। दरवाजे पर पहुँचने के बाद बाबा ने अपना ब्रेसलेट वाला हाथ कैथरीन के सिर पर रखा और बोले, “दीर्घायु हो रक्षिका बेटा।”

यह सुन कर कैथरीन चौंकी फिरबोली, “पर बाबा मेरा नाम तो कैथरीन है, रक्षिका नहीं।”

बाबा के चेहरे पर अब भी मधुरता का भाव था, उन्होंने कहा, “ठीक है, कैथरीन बेटा, आशा करता हूँ कि हम जल्दी ही दोबारा मिलेंगे, तब तक गाड़ी धीरे ही चलाना और अपना ख्याल रखना।”

इतना कहकर बाबा तेजी से घर के मुख्यद्वार तक पहुँचे और बाहर निकल गये। उनके पीछे-पीछे कैथरीन भी एक मिनट बाद मुख्यद्वार तक पहुँची तो यह देखकर हैरान रह गयी कि बाबा गली में कहीं नहीं थे। आज की घटना और वह बाबा कैथरीन के लिए अबूझ पहेली बन गये थे। रात को जब पापा घर लौटे तो उन्होंने सोफे पर कैथरीन को उलझन में बैठी पाया। एक-दो जगह फर्श पर खून के छींटे भी थे, यह देखकर कैथरीन के पापा घबरा गये और बोले, “बेटा क्या हुआ है? फर्श पर खून क्यों है? तुम तो वीणा की पार्टी में गयी थीं? देर से आने वाली थीं, फिर ये सब क्या है? तुम ठीक तो हो?

कैथरीन ने उन्हें वीणा की पार्टी से लेकर उन रहस्यमय बाबा तक की कहानी और सारा घटनाक्रम बता दिया। यह सुनने के बाद पापा का चेहरा एकदम से पीला पड़ गया जैसे उनके शरीर में खून और जान ही न बची हो।

“तुम कभी-भी ऐसे लोगों से नहीं मिलोगी कैथरीन, और गाड़ी धीरे चलाया करो।” पापा ने उसी भावशून्य चेहरे के साथ सख्त लहजे में कहा।

“पर पापा वो तो अच्छे बाबा थे न” कैथरीन ने कहा।

“मैंने एक बार कहा ना कि तुम ऐसे लोगों से नहीं मिलोगी... तो नहीं मिलोगी” पापा ने एक बार फिर सख्ती से कहा और तुरंत अपने कमरे में चले गये।

कैथरीन एक बार फिर अवाक थी कि अब पापा को क्या हुआ है?वो तो कभी-भी ऐसा नहीं कहते थे कि उससे मत मिलो या बात मत करो तो फिर आज क्यों? शायद आज का दिन ही रहस्यमय और विचित्र है।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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