नई पुस्तकें >> रंजीता रंजीतात्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी
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समाजिक उपन्यास
दो शब्द
यह तेरी-मेरी, उसकी बात है। ऐसा कोई भी घर न होगा, चाहे वह धनी का हो या निर्धन का, द्वेष और प्रेम सम्मिलित न हों। यह बात जरूर है कि शिक्षित परिवारों का द्वेष सड़क पर नहीं पहुँचता, किन्तु निर्धन का न केवल सड़क तक बल्कि मोहल्ले तक पहुँच जाता है। मैंने पारिवारिक कीचड़ को सब के सामने लाने की कोशिश की है वहीं उनके सामाजिक स्नेह को भी उजागर करने की चेष्टा की है।
त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी
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