कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत वाह रे पवनपूतअसविन्द द्विवेदी
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पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य
(7)
गंगाधर, गौरीपति, गौरवर्न गिरिजेस,
गिरिजा, गिरीस गिरवासी कअँ प्रणाम है।
कामरिपु, कालहु कै काल, करुना निधान,
कीर्तिनाथ क्लेसहारी कासी कअँ प्रनाम है।
असविन्द, आसुतोष, अभय, अमरनाथ,
अनल नयन, अविनासी कअँ प्रनाम है।
सर्व व्यापी, संभु, सर्वेस्वर, सुरेस सिव,
सक्तिनाथ सक्ति सुखरासी कअँ प्रनाम है।
(8)
राम कै रूप निहारै बरे,
तुहीं बानर अउर मदारी बन्या है।
सेवा केह्या है सदा सिय राम के,
स्वारथ हीन पुजारी बन्या है।
जेमा न अन्तर है तुँहमा कपि
संकर कै अवतारी बन्या है,
भेद नहीं तुहमा सिव मअँ
हनुमान तुहीं त्रिपुरारी बन्या है॥
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