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कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत

वाह रे पवनपूत

असविन्द द्विवेदी

प्रकाशक : गुफ्तगू पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :88
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16273
आईएसबीएन :9788192521898

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पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य


(5)

जेकी बदौलति जानकी कै सुधि,
दीनदयालु दयानिधि पावा।
लाय सुखेन सजीवन मूरि जे,
सेषावतार कै प्रान बचावा।
लै जौ पताल गवा अहिरावन,
मारि जे बीर तुहैं फिर लावा।
बानी मअँ ओज दिया रघुनंदन,
चाहातही वोहिकै गुन गावा॥


(6)

हाल बताइस जे रघुराई कै,
आइ के सीस झुकाइस माई।
थोरिके आग न माँगे मिली जब,
जाइके लंक जराइस माई।
छोट बना जब काम परा कहूँ,
रूप बिसाल देखाइस माई।
वोकै अही गुन गावत जानकी,
जे प्रभु कै गुन गाइस माई।


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