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कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत

वाह रे पवनपूत

असविन्द द्विवेदी

प्रकाशक : गुफ्तगू पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :88
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16273
आईएसबीएन :9788192521898

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पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य


(3)

हे गननायक बुद्धि विधायक,
हे विघनेस्वर द्वन्द निकन्दन।
मंगलदायक पूज्य विनायक,
तोरि बड़ाई करी केहि छंदन।
आपु गजानन भाय षडानन,
पूत उमेस के सैलजा नन्दन।
साँझ सबेरे पुकारी तुहैं प्रभु,
बार हजार करी नित वन्दन॥


(4)

अइसा बहादुर तोर सपूत कि,
जेके कथा तिहुँ लोक मा छाई।
भाई प्रनाम करी तुहका हम,
धन्नि अहा केतना गुन गाई।
तोर दुलार मिलै महतारी,
न सूझै कि केकै सिपारिस लाई।
पाँव परी कर जोरे खड़ा ही,
असीस दिया तनी अंजनीमाई।

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