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कविता संग्रह >> वाह रे पवनपूत

वाह रे पवनपूत

असविन्द द्विवेदी

प्रकाशक : गुफ्तगू पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :88
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16273
आईएसबीएन :9788192521898

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पवनपुत्र हनुमान जी पर अवधी खण्ड काव्य

वन्दना

(1)

सतगुरू देव तुहीं ब्रम्हा बिसनू महेस,
तुही पारब्रम्ह बना बिचरा घरन मा।
तुहीं दिया ग्यान अभिमान कअ भगावा तुहीं,
तुहीं साथ दिया प्रभु जीवन मरन मा।
'असविन्द' मनकै मिटावा अँधियार तुहीं,
सुख बाय सरकार तोहरी सरन मा।
तुहीं कअ पुकारी त्रिपुरारी अउ मुरारी तुहीं,
सदा ही झुकाई सीस तोहरे चरन मा।

(2)

देवी बीना पानि तोर पद रज सिर धरी,
जीवन की राह मअँ ऊजेर करू माई रे।
सोवै मअँ उमिरि सारी बीति गै जतन करूँ,
जागि जाई ऐसन सबेर करू माई रे।
तनी के कृपा से अंब सम्भव नही न, काज,
विनती हमार कृपा ढेर करू माई रे।
टेरी तुहैं बार-बार, हेरी कौने घर-द्वार,
आउ हंस बाहिनी न, बेरि करू माई रे।

 

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