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मैं था, चारदीवारें थीं

राजकुमार कुम्भज

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16638
आईएसबीएन :978-1-61301-740-1

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कितने जन्म, कितनी मृत्यु ?

 

मैं भूलता हूँ एक नदी
कि वह जो चली आ रही थी जन्मों से
और इसलिए कि मुझे मिलती हैं
नदियाँ नई-नई, कई-कई
और इसलिए कि नींद से बाहर निकल कर
शायद नींद से बाहर निकल कर ही
होता है पत्थरों तक का पुनर्जन्म
कहने को तो थी उस तरफ़ भी ज़िंदगी
लेकिन वह उतनी, वही, वैसी ही नहीं थी
जितनी कि यह और जो कि पाई अभी-अभी
फिर पता नहीं, कितने जन्म, कितनी मृत्यु?
मैं भूलता हूँ एक सदी।

 


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