नई पुस्तकें >> जो विरोधी थे उन दिनों जो विरोधी थे उन दिनोंराजकुमार कुम्भज
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राजकुमार कुम्भज की कविताएँ
यह संसार
यह संसार
बहुत छोटी जगह है, बहुत छोटी
बहुत छोटे लोगों के लिए तो
और भी बहुत छोटी
उन्हें तो,
हर कोई निकाल सकता है
किसी भी भद्दी गाली की तरह
किसी भी निबन्ध में से,
एक दूसरे के बारे में।
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