नई पुस्तकें >> जो विरोधी थे उन दिनों जो विरोधी थे उन दिनोंराजकुमार कुम्भज
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राजकुमार कुम्भज की कविताएँ
आदमी
स्त्री की सोच में निमग्न है
निर्विघ्न है, निर्विरोध है
स्त्री,
आदमी की सोच से श्रेष्ठ है
बुद्ध है, प्रबुद्ध है
स्त्री सोचती है आदमी के बारे में
सिर्फ़ एक दिन, एक उम्र की तरह
आदमी विचार है
और स्त्री, लोकोक्ति
फिर, कभी-कभी ही होता है ऐसा
कि दोनों, दोनों ही सोचते हैं
एक दूसरे के बारे में।
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