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काव्यांजलि उपन्यास

डॉ. राजीव श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17179
आईएसबीएन :9781613017890

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आधुनिक समाज को प्रतिविम्बित करती अनुपम कृति

दिन बीतते गये। काव्या व दीपा का जन्म दिन आ गया। कमला देवी बहुत उत्साहित हैं। दोपहर लॉन में सत्संग का आयोजन किया। सत्संगदोपहर 1 से 3 तक चला। प्रातः से ही कोठी सजाई जा रही है। कोठी के हाल को गुलाब व गेंदे की लड़ियों से सजाया गया। कोठी बाहर सेबिजली की झालरों से सजाई गयी। रात्रि भोज के लिये लॉन में व्हाइट हाउस बनाया गया। जिसमें जगह-जगह गुलाब पुष्प के गुच्छे लटकाये गये। कोठी देखकर लगता है जैसे विवाहसमारोह हो।

सायं 6.30 से अतिथियों का आना प्रारम्भ हो गया। हाल में कमला देवी सफेद सिल्क की साड़ी पहने सोफे पर बैठी मुस्कुरा रही हैं।उनके काले केश साड़ी के साथ चमक रहे हैं। काव्या और दीपा श्वेत व लाल फ्राक पहनकर घूम रही हैं। लग रहा है जैसे बाल परियाँ घूम रही हों। विनोद नीला सूट व माधुरीमैरून रंग की साड़ी पहने अतिथियों का स्वागत कर रहे हैं। 7.30 तक अतिथि आ गये। सर्वप्रथम केक काटा गया और जन्म दिन का उत्सव प्रारम्भ हो गया। बच्चों ने नृत्य किया। महिलायें व पुरुष नृत्य का आनन्द लेते रहे।

विनोद, "लेडीज़ एवं जेन्टलमैन आज काव्या 8 वर्ष और दीपा 7 वर्ष की हो गयी हैं। दोनों ही पुत्रियाँ मेरे लिए लक्ष्मी का रूप हैं। घर में जो कुछ भी है इनके भाग्य व माँ के निर्देश में मधु के कुशल संचालन के कारण हैआप सब भोजन कर कृतार्थ करें व बच्चियों को आशीर्वाद दें। काव्या की जन्मतिथि 05-12-1956 व दीपा की 05-12-1957 है।

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