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काव्यांजलि उपन्यास

डॉ. राजीव श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17179
आईएसबीएन :9781613017890

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आधुनिक समाज को प्रतिविम्बित करती अनुपम कृति

हाल में सबको केक दिया गया। अतिथियों ने काव्या व दीपा को आशीर्वाद सहित उपहार दिये और लॉन में भोजनार्थ जाने लगे। सभी भोजन करनेलॉन में एकत्रित हो गये।

मिसेज बत्रा, "माधुरी तुम नारी कल्याण समिति की अध्यक्ष बन गयी, पर मिठाई अभी तक नहीं मिली।"

माधुरी, "व्यवस्था है, जाते समय समस्त परिवारों को दो-दो मिठाई का डिब्बा दिया जायेगा।"

मिसेज बनर्जी, "अरे वाह ! रसोगुल्ला है कि नहीं?"

माधुरी, "एक पैकेट मिक्स मिठाई का व एक पैकेट रसगुल्ला का है।"

शकुन्तला, "माधुरी तुम तो सुन्दर हो ही और अम्मा जी तो एकदम मीराबाई की तरह लगती हैं।"

माधुरी हर्षमिश्रित झेंप के साथ बोली, "ओह नो, तुम तो मेरी खिंचाई कर रही हो।"

मिस्टर बत्रा दूर से सुनकर आये और बोले, "शकुन्तला इज राइट, वह मेरी पड़ोसी है हम दोनों की एक ही राय है।

माधुरी, "थैंक्स टू आल।"

मिसेज सिंह, "मिस्टर विनोद तो एकदम काश्मीरी लगते हैं।"

माधुरी, "इनके पूर्वज श्रीनगर के थे।"

इसी प्रकार रात के 9 बज गये और मेहमान उपहार व आशीर्वाद देकर जाने लगे। माधुरी के निर्देश में नौकरों ने सभी सामान पूर्ववत् लगादिया और सब सोने चले गये।

 

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