आलोचना >> कला की दुनिया में कला की दुनिया मेंप्रयाग शुक्ल
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"एक कला यात्रा : सभी कलाओं के प्रेम से आनंद और अंतर्दृष्टि का संगम"
देश–विदेश के कला–संग्रहालयों में जाने के और कलाकारों से मित्रता और अंतरंगता के किस्से तो इस पुस्तक की प्रायः सभी टिप्पणियों और लेखों में पिरोये हुए हैं। उन पर अलग से और क्या जोडू। इतना ही और कहना चाहता हूँ कि ‘कल्पना’ ‘दिनमान’ से जो सीख मिली थी कि सभी कलाओं में रुचि लो, तो उससे आनंद तो आएगा ही, किसी विषय पर लिखना भी सुगम होगा,—उसका अनुभव किया है—इस पुस्तक की सामग्री लिखते हुए।
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