सिनेमा एवं मनोरंजन >> जीवन को गढ़ती फिल्में जीवन को गढ़ती फिल्मेंप्रयाग शुक्ल
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"सिनेमा की ताकत : जीवन की छवियों को नए दृष्टिकोण से देखना"
यह सिनेमा की ही क्षमता है कि वह स्थलों, पात्रों चीजों को उनके वास्तविक कद में दिखा सकता है, और किसी इमेज को दोगुना–चैगुना भी कर सकता है। (किसी खास प्रभाव के लिए) यह भी सिनेमा की ही क्षमता है कि हम आम जीवन में राह चलते, किसी स्त्री या पुरुष की पीठ ही देख पाते हैं। अगर वह हमसे काफी आगे हो। पर ऐसे ही किसी दृश्य में सिनेमा उन चेहरों को सामने से भी प्रत्यक्ष कर सकता है। अचरज नहीं कि सड़क–दृश्यों को किसी सिनेमा में, हम एक और ही तरह से पहचानते हैं। ‘छवियों’ और ‘ध्वनियों’ के संपूर्ण रेले को, जिस तरह सिनेमा में पकड़ पाना संभव है, उस तरह संभवतः स्वयं वास्तविक जीवन में नहीं। ईरान की दो फिल्मों ‘एडल्ट्स गेम’ और ‘वन्स एंड फॉर आल’ में एक बार फिर इसी ‘तथ्य’ की पुष्टि हुई।
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