चिन्मय मिशन साहित्य >> धर्म क्या है? धर्म क्या है?स्वामी चिन्मयानंद
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प्रस्तुत है धर्म क्या है..
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
धर्म मनुष्य का विशेषाधिकार है। पशुओं की सहज प्रवृति नहीं। पशुओं का जीवन-चक्र तो आहार-निद्रा और मैथुन में ही व्यतीत होता है। खाना, कपड़ा,मकान और मनोरंजन मिल जाने पर भी मनुष्य सन्तुष्ट नहीं होता। वह जीवन में कुछ अधिक प्राप्त करने की कामना करता है। किन्तु मानवता के स्तर पर पूर्ण विकसित हुआ मनुष्य अपने भीतर अन्तरात्मा की पुकार सुनकर उसे पूरा करने का प्रयास करता है। उसके मन में जीवन तत्व को समझने-जानने की उत्कंठा होती है। वह अपने आप से प्रश्न करता है-मैं कहाँ से आया हूँ ? मुझे कहाँ जाना है ? मैं यहाँ क्यों आया हूँ ? क्या जीवन का कोई अर्थ है ?
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