कविता संग्रह >> आनन्द मंजरी आनन्द मंजरीत्रिलोक सिंह ठकुरेला
|
0 |
त्रिलोक सिंह ठकुरेला की मुकरियाँ
¤
मेरे आगे पीछे फिरता।
जैसा चाहूँ, वैसा करता।
मेरा मन मोहे, मृदुभाषी।
क्या सखि, साजन? ना, चपरासी।।
¤
गले लिपट अतिशय सुख देती।
तन-मन खुशबू से भर देती।
रूप सुहावन, भोला भाला।
क्या सखि, बिटिया? ना सखि, माला।।
¤
करता रहता काम अमानी।
जब माँगूँ तब लाये पानी।
चिकना सिर है, मुख है छोटा।
क्या सखि, नौकर? ना सखि, लोटा।।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book