कविता संग्रह >> आनन्द मंजरी आनन्द मंजरीत्रिलोक सिंह ठकुरेला
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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की मुकरियाँ
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गोल मटोल बहुत ही प्यारा।
भर देता मन में उजियारा।
उसको साथ देख खुश होती।
क्या सखि, साजन? ना सखि, मोती।।
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उसके बल पर मैं सब करती।
सच कहने से कभी न डरती।
वह अपना है उससे क्या डर।
क्या सखि, साजन? ना सखि, ईश्वर।।
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