कविता संग्रह >> आनन्द मंजरी आनन्द मंजरीत्रिलोक सिंह ठकुरेला
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त्रिलोक सिंह ठकुरेला की मुकरियाँ
आत्मानन्द को जगदानन्द से जोड़ने वाली पुस्तक
‘आनन्द मंजरी’ त्रिलोक सिंह ठकुरेला का प्रथम मुकरी-संग्रह है। इसके पूर्व इनकी कई काव्य-कृतियाँ (मौलिक/संपादित) प्रकाशित होकर प्रशंसित हो चुकी हैं, प्रस्तुत पुस्तक ठकुरेला जी की सर्वथा मौलिक प्रस्तुति है।
‘आनन्द मंजरी’ कुल एक सौ एक मुकरियों का संकलन है, जिसकी पहली बाईस मुकरियाँ प्रकाशित हैं। ये मुकरियाँ (डॉ.) बहादुर मिश्र द्वारा संपादित ‘मुकरियाँ’ (अतुल्य प्रकाशन, दिल्ली, 2017) तथा ‘क्या सखि साजन?’ (संवेद-115 नई किताब, दिल्ली, 2018) में देखी जा सकती हैं।
जैसा कि आपको पता है, मुकरी द्विपक्षीय संलाप-शैली में रचित लोकप्रिय लोककाव्य-रूप है जिसमें भणिता शैली का प्रयोग होता है। भारतीय आचार्यों ने पहेली के सोलह प्रकार माने हैं। उनमें एक प्रकार ‘मुकरी’ से मिलता-जुलता है। पाश्चात्य विद्वान टिलियर्ड ने इसे ‘डिसगाइस्ड स्टेटमेंट’ नामक काव्य-कोटि के अंतर्गत रखा है। जैसा कि ऊपर निवेदित किया गया है कि मुकरी द्विपक्षीय वार्तालाप-शैली में निबद्ध काव्य-रूप है, इसमें एक वक्ता और एक श्रोता होता है। अधिकांश कथन वक्ता की तरफ से आता है। किन्तु, इसका अंतिम हिस्सा श्रोता की ओर से। इस तरह, वक्ता-श्रोता की भूमिका परस्पर बदल जाती है। इसका मूल उद्देश्य मनोरंजन और गौण उद्देश्य बुद्धि-परीक्षण या सूचनात्मक ज्ञान होता है।
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