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तितली
तितली
प्रकाशक :
वाणी प्रकाशन |
प्रकाशित वर्ष : 2005 |
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 2058
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आईएसबीएन :81-8143-396-3 |
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प्रस्तुत है जयशंकर प्रसाद का श्रेष्ठतम उपन्यास...
Titali - a Hindi Novel by Jaishankar Prasad
श्री 'प्रसाद' जी का यह दूसरा उपन्यास 'तितली' अपने पाठकों के सामने उपस्थित करते हमे अत्यन्त हर्ष हो रहा है। कविता, नाटक और कहानी के क्षेत्र मे 'प्रसाद' जी हिन्दी के विशेष प्रतिनिधि माने जाते हैं। 'कंकाल' के प्रकाशित होने के पश्चात् उनसे दूसरे उपन्यास की आशा भी की जाती थी। 'तितली' के द्वारा उन साहित्य-विनोदियों की अभिलाषा पूरी होगी जो 'कंकाल' का स्वागत करने के बाद उनके दूसरे उपन्यास की बाट जोह रहे थे।
'प्रसाद' जी की विस्तृत पर्यवेक्षण-शक्ति के कारण उनकी अनुभूति अत्यन्त हृदयस्पर्शी है और अध्ययन की गम्भीरता के कारण उसका सदैव एक लक्ष्य रहा है। यही कारण है कि इस उपन्यास में भी पाठक एक दृष्टिकोण रख कर चल सकेंगे जैसा कि उनका 'कंकाल' से अनुभव हो चुका है। यह दूसरी बात है कि इसकी रंगभूमि उन ग्रामों में है जहां का समाज भारत के वास्तविक जीवन का प्रतिबिम्ब है-बहां के दुख-सुख का जीवन ही देश की आत्मा को छूकर झकृत होता है। 'प्रसाद' जी ने उसे बड़ी सजीवता से स्पर्श किया है। हमारे ग्राम-जीवन के सब पहलू उसके यथार्थ चित्रण के भीतर से फूटकर दृष्टिपथ में आलोक उज्जवल हो उठते हैं। इस स्पष्ट दर्शन के भीतर उसे आधुनिक विश्व की गति से मिलाने के लिए राष्ट्र की एकता की वर्तमान भावना को लेकर कौटुम्बिक समस्या का विवेचन जो इस उपन्यास में हुआ है, वह भी इसकी विशेषता है। सम्भव है देश उसके लिए तैयार हो रहा हो और उसको मनुष्यता का उसमे अधिक विकास दीख पड़े।
यो तो इस उपन्यास का कथानक और व्यक्तित्व काल्पनिक है फिर भी इसकी सजीवता-मनोरंजकता यथार्थ का सुख अनुभव करती है और यह उपन्यासकार की विदग्धता का ही परिणाम है।
- प्रकाशक
तितली
अनुक्रम
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