जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
'मस्जिद के तोड़े जाने पर उनको गुस्सा आता है, तो मन्दिर के तोड़े जाने पर हिन्दुओं को भी तो गुस्सा आयेगा। क्या यह बात उन्हें मालूम नहीं है? या नहीं समझते हैं? एक मस्जिद के लिए वे लोग सौ-सौ मन्दिरों को तोड़ रहे हैं। इस्लाम क्या यही शान्ति का धर्म है?'
'इस देश के हिन्दू गुस्सा करके कुछ भी नहीं कर सकते, इस बात की जानकारी मुसलमानों को है। इसीलिए वे ऐसा कर रहे हैं। क्या कोई एक भी मस्जिद में हाथ लगा पा रहा है? नयाबाजार का मंदिर दो वर्षों से टूटा पड़ा है। बच्चे उस पर चढ़कर उछल-कूद करते हैं, पेशाब करते हैं। किसी भी हिन्दू में है हिम्मत जो मस्जिद की साफ-सुथरी दीवार पर दो मुक्का मार आये?'
किरणमयी चुपचाप उठकर चली गई। सुरंजन समझता है कि वह अपने ही भीतर अपनी एक दुनिया बना चुकी है। परिवार के बाहर वह कभी पैर नहीं बढ़ाती। वह परवीन को जिस नजरिये से देखती थी, अर्चना को भी उसी नजरिये से देखती। वह भी थोड़ा-सा लड़खड़ा गयी। उसके मन में भी सवाल उठा कि क्रोध-अभिमान पर सिर्फ मुसलमानों का ही अधिकार है?
बाबरी मस्जिद पर संकट आने के बाद ही, यानी नब्बे के अक्तूबर से ही इस देश में हिन्दुओं पर अत्याचार और मंदिरों पर हमला शुरू हुआ, ऐसी बात नहीं। सुरंजन को याद आया कि 1973 में 21 अप्रैल की सुबह जिला शहर के साहब बाजार में ऐतिहासिक काली मंदिर की काली प्रतिमा को अयूब अली नामक एक व्यक्ति ने अपने हाथों से तोड़ दिया था। मंदिर तोड़ने के बाद हिन्दुओं की दुकानों को भी तोड़ दिया गया।
16 अप्रैल को उसी बाजार के झिनाइद में शैलकूपा उपजिले के रामगोपालपाड़ा में रामगोपाल मंदिर की विख्यात रामगोपाल प्रतिमा चोरी हो गयी। बाद में शैलकूपा श्मशान के बगल में टूटी-फूटी हालत में वह प्रतिमा पड़ी मिली। लेकिन उसके अलंकार नहीं मिले।
सीताकुण्ड के पूर्व लालानगर गाँव में जयगोपाल हाटी काली मंदिर को जलाकर भस्मीभूत कर दिया गया। उत्तर चाँदगाँव की कुराइशा चाँदगाँव और दुर्गाबाड़ी की प्रतिमा को भी तोड़ दिया गया।
राष्ट्रधर्म बिल पास होने के दो महीने बाद खुलना जिले में फूलतला उपजिला के दक्षिणडीही गाँव के बगल में पुराने कालाचाँद मंदिर की कसौटी पत्थर की बनी मूर्ति और उसका सोने का अलंकार चोरी हो गया। मंदिर कमेटी के सचिव फूलतला थाने में रिपोर्ट करने गये तो उल्टे पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया और उन पर शारीरिक अत्याचार किया। मंदिर कमेटी के सभी सदस्यों के नाम गिरफ्तारी का परवाना जारी किया गया। जिले के एस. पी. उस इलाके का दौरा करने गये तो वहाँ के हिन्दुओं को उल्टे यह कहकर धमकी दी कि हिन्दुओं ने ही मंदिर के मूर्ति और गहने चुराए हैं।
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