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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :9789352291830

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


30 अक्तूबर की रात को नौ वज रहे थे। अचानक जुलूस की आवाज सुनकर 'पंचानन धाम' के लोग जाग गये। जुलूस के लोग गेट और दीवार तोड़कर घुसे। घुसते ही आश्रमवासियों को गाली-गलौज देना शुरू किया। बगल के टीन की छावनी वाले घर में किरासन डालकर आग लगा दी। आश्रम के लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे। उन लोगों ने एक-एक कर सारी मूर्तियों को तोड़ डाला। साधु बाबा की समाधि, मंदिर के कलश को तोड़ डाला। धर्म की किताबों को जला डाला। आश्रम में ही संस्कृत शिक्षा की पाठशाला थी। उस पाठशाला की अलमारी को तोड़कर सभी किताबों में आग लगा दी और रुपया-पैसा लूट लिया। सदरहाट कालीबाड़ी में 30 अक्तूबर को रात के बारह बजे करीब ढाई हजार लोगों ने ईंट मार-मारकर मंदिर का मुख्य द्वार तोड़ दिया। सशस्त्र अन्दर घुसे। मुख्य मंदिर के अन्दर घुसकर उन लोगों ने मूतियाँ तोड़ डालीं। भारी-भारी लोहे की छड़ और सब्बल से ध्वंस यज्ञ चलाया। चट्टेश्वरी माँ के मंदिरों में सीढ़ी के दोनों ओर स्थित दुकानों और घरों को लूटकर आग लगा दी। गोलपहाड़ श्मशान की सारी चीजों को रात के ग्यारह बजे लूट ले गये और श्मशान मंो आग लगा दी। श्मशान काली की मूर्ति राख हो गयी। 30 अक्तूबर की रात में 'वायस ऑफ अमेरिका' की खबरों के बाद साम्प्रदायिक गुटों ने कैवल्यधाम पर नग्न हमला किया। आश्रम के प्रत्येक देव प्रतीक को तोड़ा, हर कमरे के सामान में आग लगा दी। आश्रम के लोगों ने डरकर पहाड़ में आश्रय लिया। उनको पाते तो मारपीट करते। कई हजार लोगों ने मंदिर पर कई बार आक्रमण किया। लोहे की छड़, खुरपी, सब्बल से मंदिर के ढाँचे को नष्ट किया गया। हरगौरी मंदिर के भीतर की मर्तियों को तोड़ डाला। रुपया-पैसा और कीमती सामान लूटकर ले गये। धर्मग्रंथों को जला दिया गया। मंदिर के आसपास का प्रत्येक इलाका, मालीपाड़ा का हर परिवार खुले आकाश के नीचे दिन काटने के लिए बाध्य था क्योंकि उनके पास कुछ भी नहीं बचा था। चट्टेश्वरी रोड के कृष्णगोपाल जी के मंदिर पर रात के नौ बजे सशस्त्र व्यक्तियों ने आक्रमण किया। उन्होंने दो सौ तोला चाँदी व पच्चीस तोला स्वर्णालंकार समेत अन्य बहुमूल्य सामान लूटकर मूर्ति सहित मुख्य मंदिर को पूरी तरह ढहा दिया। मंदिर के प्रवेश द्वार के तोरण पर स्थित गाभीमूर्ति को तोड़ दिया। उनके सब्बल के आघात से मंदिर का पाइन पेड़ धराशायी हो गया। रास के उपलक्ष्य में बनाई गई मूर्तियाँ भी उनसे नहीं बच पायीं। बहद्दरहाट इलियास कालोनी के पत्येक हिन्दू घरों में लूटपाट, तोड़फोड़, नारी-पुरुष सभी पर अकथ्य शारीरिक अत्याचार चला। यहाँ तक कि सिलिंग फैन टेढ़ा करके बेकार कर दिये गये।

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