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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :9789352291830

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


हाटहजारी उपजिला के मिर्जापुर जगन्नाथ आश्रम में 31 अक्तूबर की रात को ग्यारह बजे एक सौ साम्प्रदायिक लोगों ने हमला किया। आश्रम की मूर्तियों को उन लोगों ने पटक-पटककर तोड़ दिया। भगवान जगन्नाथ के सभी अलंकारों को लूट लिया। दूसरे दिन सौ से अधिक लोगों ने आश्रम की टीन की छत पर सफेद पाउडर छिड़ककर आग लगा दी। दूसरे दिन जब वे लोग आये थे उस समय पुलिस भी वहाँ खड़ी थी। जुलूस को आते देख पुलिस वहाँ से चली गयी। बाद में सुरक्षा के लिए पुलिस और प्रशासन से सम्पर्क किया गया तो पुलिस ने उनको ही उनकी हैसियत की याद दिलायी। उसी रात चालीस-पैंतालीस सशस्त्र लोगों ने मेखल गाँव के निहत्थे ग्रामवासियों पर हमला किया। उन लोगों ने पहले आकर कमाण्डो स्टाइल में 'काकटेल' फोड़कर हिन्दुओं को डराया। जब सभी डरकर घर-द्वार छोड़ भाग गये तब घर का दरवाजा-खिड़की तोड़कर लूटपाट शुरू की। घर की देवी-देवताओं की मूर्तियों को चूर-चूर कर दिया। पार्वती उच्च विद्यालय के मास्टर मदननाथ मंदिर और मगधेश्वरी बाड़ी की सभी मूर्तियों को तोड़ दिया।

चन्द्रनाइश उपजिले में धाइराहाट हरिमंदिर की मूर्ति को तोड़ दिया, जगन्नाथ का रथ तोड़ दिया। बड़ाकल यूनियन के पठानदण्डी गाँव में मातृ मंदिर एवं राधागोविन्द मंदिर पर आक्रमण किया। बोयालखाली के चार सौ लोगों ने रात के बारह बजे कधुरखिल यूनियन के मिलनमंदिर और हिमांशु चौधरी, परेश विश्वास, भूपाल चौधरी, फणीन्द्र चौधरी, अनुकूल चौधरी के घरेलू मंदिरों की तोड़फोड़ की। बाँसखाली उपजिले के प्राचीन ऋषिधाम आश्रम को ढहा दिया गया। प्रत्येक घर को जला दिया, किताब-कापियों में आग लगा दी।

सीताकुण्ड के जगन्नाथ आश्रम में 31 अक्तूबर की रात मुसलमान कट्टरपंथियों ने लाठी, कटार लेकर हमला किया। सन् 1208 में स्थापित श्री श्रीकाली मंदिर में घुसकर काली की मूर्ति का सिर तोड़ दिया गया और उनका चाँदी का मुकुट व सोने के अलंकार लूट ले गये। एक हिन्दू गाँव है चरशरत। पहली नवम्बर को रात दस बजे दो-तीन सौ आदमी जुलूस में आये और पूरे गाँव को लूटा। जो ले जा सकते थे वह तो लिया ही, जो नहीं ले जा सके उसे जला दिया। जगह-जगह पर राखों के ढेर, जले हुए घर और अधजले निर्वाक् वृक्षों की कतारें हैं। वे जाते-जाते धमकी दे गये कि 10 तारीख के अन्दर सभी यहाँ से न गये तो लाशों का ढेर लगा दंग।

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