जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
खाने की मेज पर सुरंजन और पुलक आमने-सामने बैठे हैं। कुछ देर चुप रहने के बाद पुलक ने कहा, 'सिलहट में चैतन्यदेव के घर को जला दिया गया है। पुरानी लाइब्रेरी को भी नहीं बख्शा। सिलहट से मेरे भैया आये हैं कालीघाट कालीबाड़ी, शिवबाड़ी, जगन्नाथ अखाड़ा, चाली बंदर, भैरवबाड़ी, चाली बंद श्मशान, जतरपुर महाप्रभु अखाड़ा, मीरा बाजार, रामकृष्ण मिशन, मीरा बाजार बलराम का अखाड़ा, निर्मलाबाला छात्रावास, बन्दर बाजार, ब्रह्म मंदिर, जिन्दा बाजार, जगन्नाथ का अखाड़ा, गोविन्द जी का अखाड़ा, लामा बाजार नरसिंह का अखाड़ा, नया सड़क अखाड़ा, देवपुर अखाड़ा, टीलागढ़ अखाड़ा, बियानी बाजार, कालीबाड़ी, ढाका, दक्षिण महाप्रभुबाड़ी, गोटाटिकर शिवबाड़ी महालक्ष्मीबाड़ी, महापीठ, फेंचूगंज, सरकारखाना, दुर्गाबाड़ी, विश्वनाथ का साजीबाड़ा, बैरागी बाजार अखाड़ा, चन्द्रग्राम शिव मंदिर, आकिलपुर अखाड़ा, कम्पनीगंज, जीवनपुर कालीबाड़ी, बालागंज योगीपुर कालीबाड़ी, जाकीगंज, आमलखी काली मंदिर, बारहाट अखाड़ा, गाजीपुर अखाड़ा, बीरश्री अखाड़ा को भी तोड़कर आग लगा दी और पूरी तरह भस्मीभूत कर डाला। वेणुभूषण दास, सुनील कुमार दास और कानुभूषण दास उस आग में जल गये।'
'अच्छा?'
'इतने काण्ड हो रहे हैं सुरंजन, मेरी तो समझ में नहीं आता कि हम लोग इस देश में रहेंगे कैसे? चट्टग्राम में तो 'जमात' और 'बी. एन. पी.' ने मिलकर घर-द्वार व मंदिरों को जला दिया है। वे लोग हिन्दुओं का लोटा-बर्तन, यहाँ तक कि तालाब से मछलियाँ भी ले जा रहे हैं। हिन्दुओं को सात-आठ दिन से अन्न का एक दाना नसीव नहीं हुआ। सीताकुण्ड के खाजुरिया गाँव में कानूबिहारी नाथ और उसके बेटे अर्जुन बिहारी नाथ की छाती से पिस्तौल सटाकर जमात शिविर के लोगों ने कहा, 'बीस हजार रुपये दो, वरना घर में रहने नहीं देंगे।' वे लोग घर छोड़कर चले गये हैं। मीर सराय कालेज के प्रोफेसर की लड़की उत्पला भौमिक को बृहस्पतिवार की आधी रात उठा ले गये, और वापस किया अंतिम पहर में। अच्छा, बोलो तो इन सबका विरोध हम नहीं करेंगे?'
विरोध करने से क्या होगा, जानते हो? डी. एल. राय की कविता याद है न, मैं यदि तुम्हारी पीठ पर मारूँ लात गुस्से से, तुम्हारी तो स्पर्धा बड़ी है जो पीठ में होता दर्द जोर से!'
सुरंजन सोफे से पीठ सटाता है। आँखें बंद कर लेता है।
भोला में तो कई हजार घरों को लूटा गया है, कई हजार घर जलकर राख हो गये। आज सुबह बारह घंटे के लिए कपy में ढील दी गयी थी। तीन सौ लोगों ने सब्बल-कुल्हाड़ी लेकर लक्ष्मीनाराण अखाड़े पर तीसरी बार हमला किया। पुलिस चुपचाप खड़ी देखती रही। बुरहानउद्दीन में डेढ़ हजार से भी अधिक घर राख हो गये। दो हजार घरों को नुकसान पहुंचा है, ताजमुद्दीन में दो हजार दो सौ घर-द्वार पुरी तरह ध्वस्त हो गये, दो हजार आधा खंडहर हो गये हैं, भोला जिले में दो सौ साठ मंदिरों को धूल में मिला दिया गया।'
सुरंजन हँस कर बोला, 'तुम तो एक ही साँस में रिपोर्टर की तरह बोल गये। इन घटनाओं से तुम्हें बहुत कष्ट हो रहा है न?'
पुलक ने हैरतभरी निगाह से सुरंजन को देखा। फिर बोला, 'तुम्हें कष्ट नहीं होता?'
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