जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
विरुपाक्ष ने कहा, 'नोवाखाली के सेनबाग में कृष्णलाल दास की पत्नी स्वर्णवाला दास का अपहरण अबुल कलाम मुंशी, अबुल कासिम सहित कई लोगों ने किया और बलात्कार करके बेहोशी की हालत में घर के बगल वाले धान के खेत में छोड़ गये।'
सुरंजन बिस्तर से उठकर नल की ओर गया। हाथ-मुँह धोकर किरणमयी से दो कप चाय के लिए कहा। कल रात उसने किरणमयी के हाथ में दो हजार रुपये दिये हैं। इसलिए लड़का बिल्कुल जिम्मेदार नहीं है, यह बात वह नहीं कहेगी। दूसरे दिनों की अपेक्षा आज किरणमयी थोड़ी 'फ्रेश' लग रही है। शायद आर्थिक चिन्ता दूर हुई है, इसलिए। विरुपाक्ष मुँह लटकाये कुसी पर बैठा था। सुरंजन लौटकर आया और बोला, 'चियर अप-चियर अप!'
विरुपाक्ष फीकी हँसी हँसता है। सुरंजन भी आज काफी ताजगी महसूस कर रहा है। वह सुधामय के कमरे में एक बार हो आने की सोच रहा है। इसी बीच चाय आ गयी। माया दो कप चाय ले आयी है।
'क्यो रे, इतने दिनों में ही तू काफी सूख गयी, क्या पारुल के घर ठीक से खाना-पीना नहीं हुआ?' माया कोई जवाब दिये बिना ही चली गयी। सुरंजन के इस मजाक को उसने कोई अहमियत नहीं दी। सुधामय अस्वस्थ है। इस वक्त ऐसा हँसी-मजाक करना शायद सुरंजन के लिए उचित नहीं है। माया की चुप्पी उसे कुछ चिन्तित करती है।
इस चिन्ता से विरुपाक्ष उसे हटा लाता है। वह चाय पीते-पीते कहता है, 'सुरंजन दा, आप तो धर्म नहीं मानते हैं, पूजा नहीं करते, गाय का माँस खाते हैं, मुसलमानों से कहिए आप सचमुच के हिन्दू नहीं हैं, आधा मुलसमान हैं।'
'मैं सचमुच का इन्सान हूँ, उनको आपत्ति तो इसी बात पर है। उग्र कट्टरपंथी हिन्दू और मुसलमानों में कोई विरोध नहीं है। यहाँ के जमात नेता के साथ भारत के भारतीय जनता पार्टी की दोस्ती नहीं देख रहे हो? दो देशों में दो कट्टरपंथी दल क्षमता में आना चाह रहे हैं। भारत के दंगा के लिए भारतीय जनता पार्टी उत्तरदायी नहीं है, उत्तरदायी है कांग्रेस, यह बात तो निजाम ने खुद आयतुल मुकर्रम की सभा में कही है।'
'भारत के दंगे में एक हजार लोगों की मृत्यु हुई है। विश्व हिन्दू परिषद, आर. एस. एस., बजरंग, जमात इस्लामी सेवक संघ आदि को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इधर सिलहट में हड़ताल हो रही है। पिरोजपुर में 144 धारा, भोला में कयूं है और टुकड़े-टुकड़े में शान्ति जुलूस तो निकल ही रहा है। जुलूस में नारा लगाया जा रहा है : 'निजाती-आडवाणी भाई-भाई, एक रस्सी में फाँसी चाई (चाहता हूँ)।'
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