नाटक-एकाँकी >> बिना दीवारों के घर बिना दीवारों के घरमन्नू भंडारी
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स्त्री-पुरुष के बीच परिस्थितिजन्य उभर जाने वाली गाँठों की परत-दर परत पड़ताल करने वाली नाट्य-कृति.....
सेठ : आप ही प्रिंसिपल साहिबा हैं न?
शोभा : जी, कहिए?
सेठ : मेरी पोती आपके कॉलेज में पढ़ती है, पहले साल में-कमला सम्पतलाल।
शोभा : (कुछ याद करते हुए) जी हाँ, पढ़ती है।
सेठ : मैं उसी का बाबा हूँ, सेठ सम्पतलाल। नाम सुना होगा आपने। चावल का कारोबार
है अपना, आसाम में चाय के बग़ीचे भी हैं, बम्बई में कपड़े की मिलें थी हैं दो,
और-
शोभा : (बीच में बात काटकर) मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ?
सेठ : ही-ही-ही-। भौत नाम सुना है आपका। कमला तो भौत ही तारीफ़ करती है आपकी।
शोभा : बेहतर होगा आप यह बताएँ कि मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ।
सेठ : (चारों ओर देखकर) अहा! क्या घर रखती हैं आप! लोग-बाग कहते हैं कि
पढ़ी-लिखी लड़कियाँ घरबार नहीं देखतीं। अब कोई कहे? जैसा नाम सुना था, वैसा ही
पाया। कमला तो भौत ही तारीफ़ करती है आपकी!
शोभा : क्या मैं जान सकती हूँ कि-आपको क्या काम है?
सेठ : वह-वह-वह इस बार आपने कमला को फेल कर दिया, उसी के बारे में-
शोभा : मैंने फ़ेल कर दिया? उसने काम अच्छा न किया होगा तो फेल हो गई होगी।
सेठ : सो कुछ नहीं, वह एक ही बात है। पर जो हो गया सो हो गया। अब आप उसे अगले
दर्जे में चढ़ा दीजिए।
शोभा : यह कैसे हो सकता है सेठ साहब? जो फेल है उसे चढ़ाया कैसे जा सकता है?
(अजित का प्रवेश। सेठ जी को देखकर हल्के-से भृकुटि तन जाती है, बिना कुछ बोले
भीतर चला जाता है।)
सेठ : मेरी तो यही समझ में नहीं आता कि फ़ेल कैसे हो गई। दो-दो तो प्रोफ़ेसर
रखे हैं। एक-एक को दो सौ रुपया महीना देता हूँ। एक और रख दूँगा, इस बार तो आप
चढ़ा दीजिए।
शोभा : देखिए सेठ जी, विद्या कोई चाय या चावल तो नहीं जिसे आप पैसे से ख़रीद
लेंगे। आप नम्बर देखना चाहेंगे उसके?
सेठ : अरे नहीं-नहीं, नम्बर-फम्बर की बात नहीं। बस, मुझे तो इस साल उसे चढ़वाना
है। (जरा आगे झुककर धीरे से) देखिए, इस बार तो आप चढ़ा दीजिए, बाक़ी जो बात हो
हमसे कहिए, क्या सेवा की जाए आपकी?
शोभा : (डॉटकर) क्या समझ रखा है आपने कॉलेज को?
सेठ : अरे, आप नाराज़ क्यों होती हैं?
शोभा : आप यहाँ से तशरीफ़ ले जा सकते हैं! मैं आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकूँगी!
सेठ : (तैश में आकर) तो आप नहीं चढ़ाएँगी? ठीक है, आप यह मत सोचिए कि कलकत्ता
में आपका ही कॉलेज है। मैं जहाँ चाहूँ इसे भर्ती करा सकता हूँ। न दूसरे साल में
करवा दिया तो मेरा नाम सेठ सम्पतलाल नहीं। हूँ-!
(प्रस्थान)
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