Na Radha Na Rukamani - Hindi book by - Amrita Pritam - ना राधा ना रुक्मणी - अमृता प्रीतम
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ना राधा ना रुक्मणी

अमृता प्रीतम

प्रकाशक : किताबघर प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2003
पृष्ठ :126
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3352
आईएसबीएन :81-7016-626-8

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अमृता प्रीतम के द्वारा लिखा हुआ एक श्रेष्ठ उपन्यास...

Na Radha Na Rukamani

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आज हर कृष्ण को अपना वह सपना याद आया तो लगा-इन्सान ने सचमुच कभी इन्सान लफ्ज के अर्थ को और उसी सांस में हरकृष्ण को अहसास हुआ कि इन्सान ने अभी तक रिश्ता लफज की भी थाह नहीं पाई है...

रिश्ता लहू के कौन-कौन से तार से जुड़ता है, लोगों को सगा कर जाता है, और कौन-कौन से तार से उखाड़कर लोगों को पराया कर जाता है, कुछ भी हरकृष्ण की पकड़ में नहीं आया। लेकिन जिन्दगी की सुनी हुई कुछ हकीकतें थी जो उसके सामने, एक खुली किताब की तरह थीं।

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