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			 कहानी संग्रह >> गूँगे सुर बाँसुरी के गूँगे सुर बाँसुरी केपन्नालाल पटेल
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			 303 पाठक हैं  | 
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पन्नालाल पटेल की सर्वोत्कृष्ट इक्कीस कहानियों का संग्रह
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
भारतीय साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 1985 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्री पन्नालाल पटेल गुजराती के अग्रणी कथाकार रहे हैं। लगभग छह दशक पूर्व गुजराती साहित्य-जगत् में उनका अविर्भाव एक चमत्कार माना गया था। ग्रामीण जीवन के आत्मीय एवं प्रामाणिक चित्रण के साथ ही उन्होंने लोकभाषा का प्रयोग कुछ इस प्रकार किया कि उसकी गति और गीतात्मकता गुजराती गद्य के सन्दर्भ में अपूर्व मानी गयी।
पन्नालाल पटेल की सर्वोत्कृष्ट इक्कीस कहानियों की यह चयनिका ‘गूँगे सुर बाँसुरी के’ कथा-साहित्य के सुधी पाठकों को सहर्ष समर्पित है। इन कहानियों में उन्होंने प्रायः दलित-पीड़ित-उत्पीड़ित मनुष्य को अपना विषय बनाया है।
 
			
		  			
			
			पन्नालाल पटेल की सर्वोत्कृष्ट इक्कीस कहानियों की यह चयनिका ‘गूँगे सुर बाँसुरी के’ कथा-साहित्य के सुधी पाठकों को सहर्ष समर्पित है। इन कहानियों में उन्होंने प्रायः दलित-पीड़ित-उत्पीड़ित मनुष्य को अपना विषय बनाया है।
						
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