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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : श्रीवेदमाता गायत्री ट्रस्ट शान्तिकुज प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4105
आईएसबीएन :000

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गुरुदेव की वचन...

सपनों के झरोखे से


प्रायः स्वप्नों में अपने-अपने संबंधी-स्वजनों के संबंध में ही पूर्वाभास होते हैं। हर किसी के बारे में सपने आते हैं। इसका कारण संबंधित जनों के प्रति घनिष्ठता का भाव ही कहा जाता है। सामान्य जीवन में भी आत्मिक घनिष्ठता का बहुत महत्त्व और मूल्य है। उसके आधार पर छोटे-बड़े आदान-प्रदानों का क्रम चलता रहता है। परायेपन का भाव आने और स्नेह-सहयोग का आधार झीना रहने पर अन्यमनस्कता बनी रहती है, पर जब घनिष्ठता का संचार होता है तो व्यक्तियों का न केवल सहयोग ही प्रखर होता है, वरन् आंतरिक एकता भी सघन होती चली जाती है। इसकी प्रतिक्रिया दोनों पक्षों के लिये हितकारक बनती है। व्यावहारिक जीवन में मित्रता के लाभों से सभी परिचित हैं।

सूक्ष्म जीवन में यह घनिष्ठता मरण काल का आभास आत्मीय जनों के सामने अदृश्य सूचना के रूप में जा पहुँचती है। कितने ही प्रसंग ऐसे हैं, जिनमें एक मित्र या संबंधी की मृत्यु होने पर उसकी सूचना द्वारा दूसरे पक्ष को जानकारी मिली है। कई बार तो यह सूचना स्वप्नों के माध्यम से मिलती है और कई बार ऐसे ही चौंका देने वाली विकलता के रूप में उभरती हैं। कई बार ऐसे आभास मिलते हैं कि, मृतक की आत्मा स्वयं अपने मरण की सूचना देने और अंतिम बार मिलने के उद्देश्य से सूक्ष्म शरीर में समीप आई है। ऐसे अनेकों प्रसंग हैं, जिन्हें विश्वस्त एवं प्रामाणिक ही कहा जा सकता है।

स्वप्नों के संबंध में सोचा जाता है कि, किसी पूर्व संभावना का दृश्य प्रत्यक्ष बनकर दीख सकता है, पर जब उस प्रकार की
कोई कल्पना तक न हो तो उसे क्या कहा जाए ? अति वृद्ध, अशक्त बीमारी से ग्रसित युद्ध क्षेत्र में लड़ते हुए अथवा ऐसी ही किसी विपन्न स्थिति में पड़े हुए व्यक्ति के संबंध में उसकी मृत्यु संभावना का, कल्पना क्षेत्र का स्थान हो सकता है और उस स्तर के स्वप्न दीख सकते हैं, किंतु जो पूर्ण स्वस्थ एवं भली चंगी स्थिति में हैं, उनके आकस्मिक निधन की संभावना किसकी कल्पना में होगी और कोई, क्यों उस प्रकार के स्वप्न देखेगा ?

आकस्मिक मृत्यु की सूचना बिना किसी संचार साधन के जब स्वप्न संबंधियों को मिलती है, तो उससे आत्मा के अस्तित्व और सूक्ष्म जगत् में घटित होने वाली हलचलों का सूक्ष्म रूप से प्रमाण मिल जाता है। घनिष्ठता स्नेह सूत्र में बँधे हुए लोगों के साथ किसी विशेष उत्तेजना के समय विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। इस तथ्य को हम मृत्यु की अदृश्य सूचनाओं का विश्लेषण करते हुए सहज ही जान सकते हैं। ऐसी घटनाएँ एक नहीं अनेक हैं और ऐसी हैं जिन्हें किंवदंती नहीं, प्रामाणिकता की कसौटी पर खरा मानने में कोई अड़चन नहीं पड़ती।

ऐसी अनुभूतियाँ प्रायः स्वप्नावस्था अथवा अर्ध निद्रा की स्थिति में होती है। गहरी नींद को सुषुप्ति कहते हैं। वह उतनी प्रगाढ़ होती है कि, उसमें मस्तिष्कीय तंतु प्रायः पूरी तरह निश्चेष्ट हो जाते हैं। उस स्थिति में कोई स्वप्न नहीं आता। तंद्रावस्था में अंतर्मन सक्रिय रहता है और यदि उसमें सूक्ष्म जगत् से संपर्क बना सकने लायक संवेदना हुई तो रहस्यमय अदृश्य घटना चक्रों को समझने और पकड़ने में समर्थ हो जाता है। कभी-कभी मृत्यु जैसी घटनाएँ अपने आप में इतनी प्रबल होती हैं कि, वे सामान्य स्तर के व्यक्तियों को भी आत्मीयता का सूत्र जुड़ा रहने के कारण प्रभावित करती हैं और उन्हें उस प्रकार की संभावना का स्वप्न में आभास देती हैं।

नेपोलियन जिस दिन मरा, उसी दिन सैंकड़ों मील दूर अपनी माँ से मिलने पहुँचा। माँ ने यही समझा कि, वह सहसा मिलने आ
गया है। मृत्यु की तब कोई सूचना मिलने का प्रश्न भी तो नहीं था। नेपोलियन माँ के पास पहुँचकर बोला-"माँ ! अभी ही झंझटों से मुक्त हो पाया हूँ।" अन्य तीन व्यक्तियों ने भी उसे देखा। बाद में पता चला, नेपोलियन की उसी समय मृत्यु हुई थी।

कवि बायरन ने भी ऐसी अनेक अनुभूत घटनाओं का वर्णन किया है। उनमें से एक यह है-

"एक ब्रिटिश कैप्टन किड गहरी नींद में सो रहे थे। सहसा उन्हें लगा बिस्तर पर कोई भारी बोझ है। आँखें खोली तो देखा, सुदूर वेस्टइंडीज में नौकरी कर रहा भाई बिस्तर पर बैठा है। उसका उस समय वहाँ होना असंभव था। किड ने सोचा-सपना है
और आँख मूंद ली। थोड़ी देर बाद फिर देखा-भाई अभी भी वहीं है। तब भाई की ओर हाथ बढ़ाया। उसका कोट पानी से तर था। हड़बड़ा कर वे उठे। कुछ देर में भाई गायब हो गया। बाद में पता चला---उसी समय भाई के पानी में डूब जाने से वेस्टइंडीज में ही मृत्यु हो गई थी।"

फिल्म तारिका ओलिविया एक शाम को कुछ उदास थी। अपने एक मित्र के यहाँ से काम के बाद पैदल ही टहलती घर की ओर चल पड़ी। घर के पास वह पहुंची तो लगा-उसकी बाँह के नीचे कोई हाथ है और साथ का व्क्ति धीरे-धीरे एक गीत गुनगुना रहा है। वह बेहद शकी थी। स्वर व स्पर्श परिचित था। अतः मान लिया कि, उसका वह मित्र अभी ही बाहर से आया होगा। घर आने पर यह जानकर कि मैं अमुक जगह काम पर गई हूँ, वहाँ पहुँचा होगा। फिर वहाँ पता चला होगा कि मैं अभी-अभी पैदल ही घर चल दी हूँ, तो राह में आ पकड़ा है। यह उसकी आदत थी। ओलिविया को स्वाभाविक ही खुशी हुई। वह चलती रही फिर स्वयं भी उसके साथ गुनगुनाने लगी। जब घर के दरवाजे पर पहुँची तो उसने कहा-"गुडनाइट" और जाकर सो गई। सोचा मित्र भी घर गया।

सुबह नाश्ते के समय अखबार पलट कर देख रही थीं, तो अंदर के पृष्ठ पर एक खबर छपी थी कि ओलिविया का वह मित्र एक दिन पूर्व दोपहर को मार डाला गया है।

कैप्टन फ्रेडरिक प्रथम बर्मा युद्ध में एक जहाज में कमांडर ऑफिसर के नाते ड्यूटी पर थे। ए  क रात सहसा उन्होंने एक व्यक्ति को अपने केबिन में घुसते देखा। वे सतर्क हो गए और उस पर आक्रमण करना ही चाहते थे कि, चाँदनी के प्रकाश में उन्होंने स्पष्ट पहचाना-उनका भाई। वे चौंक पड़े। भाई और पास आया। बोला-'फ्रेड, मैं तुम्हें यह बताने आया हूँ कि मैं मर चुका हूँ।' फ्रेड सभी घटनाओं का ब्यौरा लिख रखते थे। अतः इस घटना का भी समय व विवरण लिख लिया। इंग्लैंड लौटे तो पता चला, उसी घटना वाले दिन, ठीक उसी समय उनके भाई की मृत्यु हुई थी।

क्वीन्स टाउन की श्रीमती काक्स का अनुभव भी दिलचस्प है। जब वे मायके में थीं, उनका भाई जो कि नेवी में अफसर था और हांगकांग में तैनात था, अपने छोटे बच्चे को उन्हीं की देखभाल में छोड़ गया था। एक रात जब वे नित्य की भाँति उस भतीजे को कमरे में सुलाकर अपने कमरे में आई, तो थोड़ी देर बाद वह बालक भाग आया और डरी-डरी आवाज में बताया-आँटी ! मैंने अभी-अभी पिताजी को अपने बिस्तर के पास चलते हुए देखा। श्रीमती काक्स ने समझाया कि, तूने सपना देखा होगा। बच्चा डरा था, अतः अपने कमरे में नहीं गया। कुछ समय बाद श्रीमती काक्स भी लेट गईं। लेटने के थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा, उनके भाई अँगीठी के पास कुर्सी पर बैठे हैं। उनके चेहरे पर पीलापन है। वे चौंक पड़ी। बाद में वह छाया गायब हो गई। कुछ दिनों बाद पता चला कि, उक्त घटना के कुछ घंटों पहले श्रीमती काक्स के भाई की हाँगकांग में आकस्मिक मृत्यु हो गई थी।

रूसी बैले नर्तक श्री सर्जेक्रेस की १६१६ में एक ड्रामे हेतु रिहर्सल करके लौटे और भोजन के पश्चात् थकान दूर करने। बिस्तर पर लेट गये। रात के पहले चरण में ही सर्जे ने स्वप्न देखा कि, वृक्ष के नीचे क्रिसमस त्यौहार मनाया जा रहा है। वहाँ एक नाटक मंच सजा है—जिस पर 'इन्फांटा' संगीत नाटिका दिखाई जाने वाली है। अचानक पेड़ पर से एक जलती हुई मोमबत्ती मंच पर गिरी और प्रोड्यूसर एडाल्फवाम मंच के पीछे भागते नजर आए और उस स्थान पर सुंदर सफेद फूलों का ढेर लगा हुआ है। इतना देखकर सर्जे की नींद भंग हो गई। सचमुच ही वह आयोजन जिसके लिए सर्जे रिहर्सल करके लौटे थे, क्रिसमस के दो दिन पूर्व ही हुआ और तैयारी के बीच में ही सूचना मिली कि, संचालक मौत का शिकार हो गया। सर्जे ने अपनी आँखों से पुनः स्वप्न वाले सफेद फूल मृतात्मा की श्रद्धांजलि के रूप में देखे।

अर्थों का सामंजस्य न बिठाये जा सकने वाला एक स्वप्न २७ नवंबर १६१७ को अमेरिका के डॉ० वाल्टर फ्रैंकलिन प्रिंस को आया। उसने देखा, स्वप्न में एक महिला ने आकर उनके हाथ में एक पर्चा दिया, जिसमें लिखा था-"पत्र वाहिका को सजाए मौत दी जाए।" लाल स्याही से लिखी इस बात को पढ़कर उन्होंने उस महिला को बड़े ध्यान से निहारा, इसी बीच उसी महिला ने उनका हाथ पकड़कर जोर से दबा दिया। प्रिंस को ऐसा अनुभव हुआ कि, महिला ने उनके दूसरे हाथ की अंगुलियाँ दाँतों से चबा डालीं और ऐसा करते ही उस महिला का सिर धड़ से अलग होकर गिर गया। यह स्वप्न प्रिंस के मन-मस्तिष्क पर हावी रहा। उन्होंने यह स्वप्न अमेरिकी परामनोविज्ञान शोध समिति की सदस्या किसटवी को सुनाया, तो उन्होंने भी नोट भर कर लिया और अधिक कर भी क्या सकती थीं ? वह सुबह के समाचार-पत्र में एक २७ वर्षीया महिला द्वारा रेल की पटरी पर लेटकर आत्महत्या करने का समाचार देखा उसका हैंड बैग उसका नाम 'सारा-हैंड' बता रहा था। डॉ० प्रिंस ने शव देखा तो स्वप्न वाली महिला का ही था। तब उन्हें हैंड' माने हाथ को दाँत से काटना, सिर धड़ से अलग होना ये सारे संदर्भ जुड़ते नजर आये।

अमेरिका के उच्च सैनिक अधिकारी कर्नल गार्डिनर की पुत्री 'जूलिमा और जल सेना के तत्कालीन सेक्रेटरी श्री थामस डब्ल्यू० गिलमर की पत्नी ‘ऐनी' दोनों ने २७ फरवरी १८४४ को स्वप्न में अपने-अपने पतियों की मृत्यु को देखा तो, दूसरे ही दिन २८ फरवरी को वाशिंगटन में होने वाले राष्ट्रीय उत्सव में जाने से अपने-अपने पतियों को रोका, पर वे गये ही और उत्सव में प्रदर्शन होने वाली दो तोपों के बैरेल में ही गोले फट जाने से उन दोनों की मृत्यु हो गई।

'जुलिमा सौ मील दूर बैठे अपने पति की स्थिति से अवगत (स्वप्न में) होने का दावा करतीं। एक स्वप्न में उन्होंने अपने नवविवाहित पति प्रेसीडेंट-टेलर का पीला चेहरा देखा तब वे रिचमांड में थे। स्वप्न में वे हाथ में टाई और कमीज लिए हुए कह उठे--"मेरा सिर थाम लो"। स्वप्न टूटा। घबराई हुई जुलिमा सुबह ही रिचमांड के लिए रवाना हो गई और प्रेसीडेंट टेलर को सकुशल पाया, पर जहाँ वे ठहरे थे, उस होटल में दुर्घटना के कारण एक मृत्यु का ठीक वही दृश्य था।

श्रद्धायुक्त, स्वच्छ, पवित्र मन वाले उपासक आत्मचिंतन करते हुए सार्थक स्वप्न देख मानव कल्याण का हेतु बन सकते हैं।

इंग्लैंड की एक १२ वर्षीय बालिका जेनी को भी सत्यसचक स्वप्न आते थे। पहले तो उस पर कोई विश्वास न करता। किंतु २६ जनवरी १८६८ के दिन उसके पिता कप्तान स्पूइट एक जहाज पर कोयला लादकर विदेश चल दिए। एक रात सहसा बालिका चीख पड़ी। कारण पूछने पर उसने बताया-पिताजी का जहाज डूब गया है, पर उन्हें एक अन्य जहाज ने बचा लिया है। माँ ने डॉटकर जेनी को चुप कर दिया, पर २५ फरवरी को लौटकर स्प्रूइट ने जो कुछ बतलाया—वह जेनी के स्वप्न के अनुसार पूरी तरह घटित हुआ था। सभी विस्मित रह गए।

वर्तमान के घटनाक्रमों का स्वप्न में दिखाई पड़ना इस आधार पर सही समझा जा सकता है कि, सूक्ष्म जगत् में हो रही
हलचलें एक स्थान से दूसरे स्थान तक रेडियो तरंगों की तरह जा सकती हैं और बिना संचार साधनों के भी उनका परिचय मिल सकता है, पर आश्चर्य तब होता है, जब भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का बहुत समय पहले ही आभास मिल जाता है। ऐसे स्वप्नों की भी कमी नहीं जिनमें मृत्यु अथवा अन्य प्रकार के पूर्व संकेत स्वप्न में मिले हैं और वे सही सिद्ध होकर रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने रात को एक स्वप्न देखा कि, उन्हें रोने की बहुत-सी आवाजें सुनाई पड़ती हैं। वे बिस्तर से उठ कर व्हाइट हाउस के कमरों में चक्कर लगाकर इन रोने की आवाजों का कारण तलाश करते हैं। एक कमरे में वे एक लाश कफन से ढकी हुई देखते हैं और वहीं कुछ सिपाही खड़े पाते हैं। वहाँ बहुत से लोग रो रहे हैं। सपने में ही लिंकन एक सिपाही से पूछते हैं:-कौन मरा ? सिपाही कहता है राष्ट्रपति लिंकन की हत्या गोली मारकर कर दी गई है। यह उन्हीं की लाश पड़ी है।

लिंकन ने सपना अपने परिचितों को सुनाया। चार दिन बाद ही वह स्वप्न सच हो गया। जब वे वाशिंगटन के फोर्ड थियेटर में नाटक देख रहे थे, तो एक अभिनेता ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

अमेरिका के एक नागरिक एलन बेधन ने एक रात स्वप्न देखा कि, तत्कालीन राष्ट्रपति राबर्ट केनेडी एक भीड़ के साथ किसी पार्टी में जा रहे हैं। रास्ते में विरोधी दल का एक सदस्य उन्हें गोली मार देता है और राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है।
एलन ने अपना सपना स्वप्न अनुसंधान संस्था के रजिस्टरों में नोट करा दिया और अनुरोध किया कि, वे इस सपने की बात राष्ट्रपति तक पहुंचा दें। इसके एक सप्ताह बाद सचमुच वह सपना सत्य हो गया और राष्ट्रपति गोली से मारे गये।

एक दिन एक आस्थावान् छात्र अपने नास्तिक प्रोफेसर फ्रांज मेमर के पास प्रातःकाल ही पहुंच गया और बोला—सर ! आज बहस करने नहीं, प्रमाण लेकर आया हूँ। जेना विश्वविद्यालय के ये प्रोफेसर एवं छात्र प्रायः आस्तिकतावाद पर विवाद करते रहते, पर बिना प्रमाण प्रोफेसर महोदय मानने को तैयार नहीं होते। छात्र ने कहना प्रारंभ किया आज रात मैंने एक स्वप्न देखा है, किंतु आपको बताऊँगा नहीं। मात्र इतना बताता हूँ कि, मेरी मृत्यु शीघ्र ही हो जाएगी। प्रसंग यहीं समाप्त हो गया, घटना घटित होने तक के क्षणों तक के लिए और हफ्ते भर बाद ही सोमवार को वह छात्र बीमार पड़ा और तीसरे दिन तक उसका काम हो ही गया। प्रोफेसर महोदय आतुर मन लिए अंत्येष्टि समाप्त होते ही छात्र के घर पहुंचे और उस दिन छात्र द्वारा मृत्यु के बाद बक्सा खोलकर देखने के लिए दिये संकेतानुसार बक्सा खोलकर उस दिन के स्वज का लिखित वृतांत पढा। लिखा था-"तारीख १७ दिन बृहस्पतिवार को प्रातःकाल पाँच बजे मेरी मृत्यु हो जाएगी मुझे अमुक स्थान पर दफनाया जायेगा। जब मुझे दफनाया जा रहा होगा तब मेरे माता-पिता आएँगे और मुझे एक बार फिर बाहर रखकर देखेंगे। इसके बाद मुझे दफना दिया जाएगा।" प्रोफेसर महोदय के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। लिखित विवरण के अनुसार ही सारा नाटक आँखों से देखकर अंततोगत्वा उन्हें स्वीकार करना पड़ा उस सत्ता को—जिसे हठवश उपेक्षित किया जाता है।

अबोहर (पंजाब) से छपने वाले पत्र 'दीपक' में ७ अगस्त १9३9 के अंक में एक घटना छपी कि, लुधियाना के पुराना बाजार में एक ब्राह्मण के यहाँ झीवर नौकरी करता और प्रतिदिन पूजन के लिए विल्व-पत्र तोड़ लाता। उसने एक दिन स्वप्न देखा कि, वह बिल्व-पत्र तोडने पेड़ पर चढा, तो नीचे खडा हआ भैसा कह रहा है कि तुम नीचे उतरे और मैंने तुम्हें मार डाला। यह बात उसने गाँव वालों को सुनाई पर किसी ने उस स्वप्न को महत्त्व नहीं दिया। किंतु सचमुच ही जब वह दूसरे दिन प्रातःकाल विल्व-पत्र तोड़ने पेड़ पर चढा, तो एक क्रोधित भैंसा पेड के नीचे आ धमका। उसे देख वह भयभीत हो नीचे गिर पड़ा और मर गया।

एक रात हरफोर्ड के आर्क बिशप की पत्नी ने स्वप्न देखा कि, एक सुअर उनकी डाइनिंग टेबल पर भोजन कर रहा है। प्रातःकाल यह बात बिशप से कही गई तो वे हँसकर रह गए, पर वास्तव में जब पत्नी-पति गिरजा घर से प्रार्थना करके लौटे, तो देखा कि पड़ौसी का पालतू सुअर किसी प्रकार उनके घर में घुस आया है और भोजन की टेबिल पर सवार है। पति-पत्नी के लिए नौकर द्वारा लगाया गया नाश्ता उनके पहुंचने तक सुअर साफ कर चुका था।

एक दुर्घटना की पूर्व सूचना, दुर्घटना तथा दुर्घटना हो जाने के निश्चित समाचार लगातार एक ही स्वप्न के तीन बार आने के रूप में मैनचेस्टर की ही एक स्त्री का अनूठा अनुभव है। तीनों बार स्वप्न में उसने देखा कि, उसकी लड़की की मृत्यु मोटर दुर्घटना से हो गई है और प्रातःकाल सचमुच ही समाचार आ गया कि, उसकी लड़की मोटर दुर्घटना में समाप्त हो गई है। एक ही स्वप्न की तीन . बार पुनरावृत्ति के द्वारा पहिले दुर्घटना के भविष्य की रचना, दूसरी बार दुर्घटना एवं तीसरी बार दुर्घटना हो चुकने के समाचार से अवगत कराया गया।

स्वयं डॉ० फ्रायड ने अपनी पुस्तक 'इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम' में एक अनूठी घटना से संबंधित स्वज के संबंध में लिखा है कि-

"मेरे शहर में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के पुत्र का देहावसान हो गया। रात्रि में अंत्येष्टि संभव न होने से प्रातःकाल करने का निर्णय कर शव के चारों ओर मोमबत्ती जलाकर, एक पहरेदार छोड़ मृतक का पिता अपने कमरे में जा सोया। नींद लगे थोड़ी ही समय हुआ होगा कि स्वप्न में उनका लड़का उनके सामने खड़ा होकर, कह रहा है कि, मेरी लाश यहीं जल जाने दोगे। यह स्वप्न देखते ही उसकी नींद टूटी और उसने झाँककर देखा, तो लाश वाले कमरे में प्रकाश हो रहा था। वह वहाँ पहुँचा तो देखा कि पहरेदार सो गया है और मोमबत्ती गिर जाने से कफन में आग लगने से लाश ही क्या, यदि विलंब हो जाती तो मकान ही जल जाता।

इस स्वप्न से फ्रायड को यह स्वीकार करना पड़ा कि, स्वप्न जगत् को दृश्य जगत् एवं स्थूल वासनाजन्य कल्पनाओं तक सीमित करना भूल ही होगी। हाँ अक्षरशः सत्य निकलने वाले स्वप्नों की तह तक हम अवश्य ही नहीं पहुंच पाते।

भूतकाल में हुई घटनाओं के आभास भी कई बार स्वप्नों में मिलते हैं। इस संदर्भ में यह समझा जा सकता है कि, जिस प्रकार मस्तिष्क में भूतकाल की स्मृतियाँ प्रसुप्त स्थिति में पड़ी रहती हैं और जब कभी अवसर आता है, तब वे उभरकर सामने आ जाती हैं। इसी प्रकार सूक्ष्म जगत् में भूतकाल की घटना अपना अस्तित्व बनाए विचरण करती रहती होंगी और जब-जहाँ उनका संपर्क बनता होगा, वहाँ स्वप्न अथवा आभास रूप में जिस-तिस को उनका अनुभव हो जाता होगा।

पर मनोविज्ञान की वर्तमान खोजों में इस प्रकार के हजारों प्रमाण बहुत छान-बीन के बाद एकत्रित किए हैं और विशेषज्ञों ने तथ्यों का कारण समझ सकने में अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए भी इतना तो स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि, जिन सूत्रों से इन घटनाओं का संकलन पूरी छान-बीन के साथ किया गया है, उनमें अतिशयोक्ति एवं किंवदंतियों का अंश कदाचित् ही कहीं रहा होगा, अन्यथा वे विश्वस्त भी हैं और प्रामाणिक भी।

मैनचेस्टर की घटना है। एक पिता ने अपने दो पुत्रों को एक खंडहर मकान में ले जाकर मार डाला और जलाकर हड्डियाँ गड्ढे में गाड़ दी और पुलिस मैनचेस्टर के इस दंपत्ति के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए लड़कों की खोज करती रही, पर पता न लग सका। एक रात चिंतित माता को स्वप्न आया. जिसमें उसने देखा कि, उसके पति महाशय अपने दोनों लड़कों को साथ लेकर एक खंडहर मकान में घुसे और उनको मौत के घाट उतार दिया। यह निर्मम दृश्य देख माँ का हृदय चीत्कार कर उठा और नींद भंग हो गई। उसने स्वप्न का संदर्भ देते हुए पुलिस में रिपोर्ट की, पर पुलिस बिना प्रमाण मानने को तैयार नहीं हुई। उसने कहा, मैंने उस जगह स्वप्न में 'चेस्टर सिटी' लिखा देखा था। यदि मुझे चेस्टर सिटी ले जाया जा सके तो मैं उस स्थल को बता सकती हूँ। पुलिस इस आधार पर महिला की मदद के लिए तैयार हो गई और चेस्टर सिटी पहुँचकर महिला ने पहले कभी न देखे उस शहर के गली-कूँचे पार करते हुए उस खंडहर मकान में ले जाकर पुलिस को खड़ा कर दिया, जहाँ शव को जलाने के निशान मिले और गड्ढे में गाड़ी गई हड्डियाँ भी मिलीं।

इन घटनाओं से कुछ ऐसे निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं, जो अव्यक्त चेतन सत्ता के अस्तित्व की पुष्टि करते हैं। अधिक गंभीरता से तो साधना और प्रयोगों द्वारा ही समझा जा सकता है। सामान्य स्वप्नों के माध्यम से भविष्य को परखने की विद्या हमारे यहाँ स्वप्नों के शुभाशुभ निर्णय करने वाले विज्ञान के रूप में भी विकसित हुई है, पर उस संबंध में कुछ निश्चित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि साहित्य और दूसरे सूत्रों द्वारा इस संबंध में जो भी जानकारियाँ उपलब्ध होती हैं, वे तथ्यों पर आधारित होने की अपेक्षा पेट भरने की विद्या के सिद्धान्त पर ही अधिक आधारित हैं। लेकिन इतना निश्चित है कि, जीवन में विविध दिशाओं से उस अविज्ञात तत्त्व का निमंत्रण मिलता रहता है, जिसे चेतन कहते हैं। वह अपनी उपस्थिति का आभास किन्हीं न किन्हीं रूपों में कराता ही है।



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    अनुक्रम

  1. भविष्यवाणियों से सार्थक दिशा बोध
  2. भविष्यवक्ताओं की परंपरा
  3. अतींद्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि व आधार
  4. कल्पनाएँ सजीव सक्रिय
  5. श्रवण और दर्शन की दिव्य शक्तियाँ
  6. अंतर्निहित विभूतियों का आभास-प्रकाश
  7. पूर्वाभास और स्वप्न
  8. पूर्वाभास-संयोग नहीं तथ्य
  9. पूर्वाभास से मार्गदर्शन
  10. भूत और भविष्य - ज्ञात और ज्ञेय
  11. सपनों के झरोखे से
  12. पूर्वाभास और अतींद्रिय दर्शन के वैज्ञानिक आधार
  13. समय फैलता व सिकुड़ता है
  14. समय और चेतना से परे

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