आचार्य श्रीराम शर्मा >> अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमिश्रीराम शर्मा आचार्य
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गुरुदेव की वचन...
भविष्यवक्ताओं की परंपरा
सेनेवा कोलंबस से १५०० वर्ष पूर्व जन्मा था, किंतु उसने तभी यह भविष्यवाणी कर दी थी कि, एक दिन पृथ्वी में कभी ऐसे
आयुधों का आविष्कार होगा, जिसके बारे में कल्पना करना भी कठिन है। प्रसिद्ध चित्रकार लियोनार्दो द विंची ने आज से ४०० वर्ष पूर्व ही यह बता दिया था-"आगे लोग आकाश में उड़ा करेंगे।" इससे भी महत्त्वपूर्ण भविष्यवाणी जोनाथन स्विफ्ट की है। जोनाथन ने गुलिवर की भ्रमण कथा' में एक लीलीपुट नामक द्वीप का चित्रण किया है। उसी में बताया है कि, मंगल ग्रह के चारों ओर दो चंद्रमा चक्कर लगाया करते हैं, उनमें से एक चंद्रमा दूसरे से दुगुनी तेज गति से चक्कर लगाता है। उस समय उस बात को गप्प कहा जाता था; किंत १८७७ में अमेरिका की नोबेल आब्जरवेटरी ने एक शक्तिशाली दूरबीन के द्वारा यह पता लगाया कि यथार्थ ही मंगल ग्रह में दो चंद्रमा हैं, उनमें से एक की गति दूसरे से दुगुनी है। स्विफ्ट ने बिना किसी यंत्र के यह कैसे जान लिया ? इसका उत्तर माँगा जाए तो विज्ञान के पास सिवाय चुप्पी के और कोई उत्तर न होगा।
भविष्यवक्ता कब से होते रहे हैं और सर्वप्रथम अनागत भविष्य का पूर्वाभास किसे हुआ था ? इसका भी कोई उत्तर नहीं दिया जा सकता, पर बहुत पुराने समय से भविष्यदर्शी हुए हैं। प्राचीन भारतीय इतिहास में तो भविष्यद्रष्टा ऋषियों का सुविस्तृत विवरण उपलब्ध है। पश्चिमी देशों में भी इस प्रकार के ढेरों उदाहरण हैं। स्पेन की सर्वश्रेष्ठ समझी जाने वाली इमारत "इस्कोनियल" वहाँ के कुख्यात राजा फिलिप द्वितीय ने बनवाई थी। इसने उसे अपनी पत्नी मेरी ट्यूडार की स्मृति में बनवाया था। इस भवन के एक कक्ष में यह व्यवस्था भी की गई थी कि स्पेन के राजाओं की मृत्यु के बाद उनके शव उसी में गाड़े जाया करें और उनके स्मारक बना दिये जाया करें।
फिलिप को एक भविष्यवक्ता ने कहा था कि स्पेन का राजवंश २४ पीढ़ियों तक चलेगा। उसे इस पर पूरा विश्वास था। इसलिए उसने चौबीस कळे ही पूर्व नियोजित ढंग से बनाकर रखी थीं।
सन् १६२६ में स्पेन की रानी मैरिया क्रिस्टिना की मृत्यु हुई। उसका मृत शरीर २३वें गड्ढे में गाड़ा गया। आश्चर्य यह कि वह शताब्दियों से पूर्व घोषित भविष्यवाणी अक्षरश: सत्य हुई। इसके बाद अलफोनो राजगद्दी पर बैठा। उसे दो वर्ष बाद ही गद्दी छोड़नी पड़ी और साथ ही राजतंत्र का भी अंत हो गया। इसके बाद स्पेन में गणतंत्र स्थापित हुआ और अलफोनो स्पेन का चौबीसवाँ अंतिम राजा सिद्ध हुआ।
महायुद्ध छिड़ने से पहले की बात है। लंदन के स्पेन दूतावास में एक भोज दिया, जिसमें ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री लार्ड हैली फैक्स सम्मिलित थे। आमंत्रित अतिथियों में भविष्यवक्ता डी० व्होल भी थे, जो संयोग से विदेश मंत्री महोदय की बगल में ही बैठे थे। उन्होंने चुपके से भावी महायुद्ध और उसके संबंध में हिटलर की पूर्व योजनाओं की जानकारी बताने का अनुरोध किया। उसके उत्तर में व्होल ने कई ऐसी बातें बताईं, जो अप्रत्याशित थीं। हैली फैक्स ने वायदा किया कि, यदि उनकी भविष्यवाणी सच निकली तो उन्हें सम्मानित सरकारी पद दिया जाएगा। भविष्यवाणी सच निकली। तदनुसार उन्हें फौज में कैप्टिन का पद दिया गया।
हिटलर के सलाहकारों में पाँच दिव्यदर्शी भी थे। उनका नेतृत्व विलियम क्राफ्ट करते थे। उनकी सलाह को हिटलर बहुत महत्त्व देता था। इस मंडली के एक सदस्य किसी समय व्होल भी रह चुके थे। वे जानते थे कि, हिटलर के ज्योतिषी उसे क्या सलाह दे रहे होंगे ? उस जानकारी को वह इंग्लैंड के अधिकारियों को बता देता। इन जानकारियों से ब्रिटेन बहुत लाभान्वित हुआ और उसने अपनी रणनीति में काफी हेर-फेर किए। फौज के महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्व कुछ फौजी अफसरों को सौंपे जाने थे। उनमें से किसका भविष्य उज्ज्वल है ? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने एक आदमी से जनरल मान्ट गोमरी की ओर इशारा किया। उन्हें ही वह पद दिया गया और अंततः उन्होंने आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त करके दिखाई। जापान के जहाजी बेड़े को बुरी तरह नष्ट करने की जो सफल योजना बनाई गई थी, उसमें भी व्होल से गंभीर परामर्श किया गया था। महायुद्ध समाप्त होने तक ही उन्होंने ब्रिटिश सरकार को भविष्यवाणियों का लाभ दिया। पीछे उन्होंने वह कार्य पूरी तरह छोड़ दिया और अपने पुराने धार्मिक लेखन कार्य में लग गये।
संसार के राजनेताओं में से ऐसे कितने ही मूर्धन्य सत्ताधीश रहे हैं जिन्होंने परखे हुए अतींद्रिय शक्ति संपन्न लोगों से महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम निर्धारण करने के लिए परामर्श लेते रहना आवश्यक समझा और उसकी उचित व्यवस्था बनाई।
अमेरिकी राष्ट्रपति जान्सन और सेक्रेटरी मैकेनहारा, वियतनाम युद्ध की चालें निर्धारित करने में एक देवज्ञ से अक्सर परामर्श करते रहते थे। हिटलर और चर्चिल के बारे में जो रहस्य अब प्रकट हुए हैं, उनसे यह तथ्य भी सामने आया है। उन्होंने विश्वस्त भविष्यवक्ताओं के परामर्शों को सदा असाधारण महत्त्व दिया। चर्चिल ने लुई व्होल को यह जासूसी सौंपी थी कि, वे यह पता लगा दिया करें कि हिटलर के ज्योतिषी उसे क्या-क्या परामर्श देते हैं ? कहते हैं कि गलत भविष्य कथन करने के अपराध में एक भविष्यवक्ता को हिटलर ने मौत के घाट उतरवा दिया था।
राष्ट्रपति केनेडी की हत्या की पूर्व सूचना भविष्यवक्ता पीटर वीडन प्रकाशित कर चुके थे। एक ज्योतिषी ने अन्य आधार पर प्रेसीडेंट केनेडी के ठीक उसी समय मरने की बात प्रकाशित कराई थी, जिस समय कि वे वस्तुतः मर गए। उसका विचित्र तर्क यह था कि, नियति का विधान हर बीस वर्ष बाद अमेरिका प्रेसीडेंट को उदरस्थ कर जाता है। चाहे वह स्वाभाविक मौत से मरे या हत्या से। सन् १८६१ में लिंकन, १८८१ में गारफील्ड, १६०१ में मैकिन्ले, १६२१ में हार्डिंग, १६४१ में रूजवेल्ट मरे थे। इसी श्रृंखला में १६६१ में केनेडी प्रेसीडेंट बने। उस ज्योतिषी का कहना था कि, केनेडी पर भी २० साल बाद वैसा ही संकट हो सकता है। कहना न होगा कि यह आशंका पूर्णरूप से सही हुई। प्रेसीडेंट केनेडी की हत्या की पूर्व सूचना प्रकाशित करने वालों में श्रीमती जीन डिक्सन और श्रीमती शर्ल स्पेन्सर नामक दो महिला देवज्ञ भी थीं।
दैनिक हिंदुस्तान में श्री परिपूर्णानंद वर्मा का एक लेख छपा, जिसमें उन्होंने एक अंग्रेज वृद्धा की पूर्वाभास शक्ति का अद्भुत वर्णन किया है। यह महिला श्रीमती सरोजनी नायडू के घनिष्ठ परिचय में थी। एक दिन श्रीमती नायडू के घर मुहम्मद अली जिन्ना और उनकी नवविवाहिता पारसी पत्नी आए। अंग्रेज वृद्धा आदि से अंत तक उन्हें आँखें फाड़कर देखती रही। जब वे चले गए, तो श्रीमती नायडू ने उस अशिष्टता के लिए बुरा-भला कहा कि, किसी मेहमान की ओर इस तरह घूरकर देखते रहना असभ्यता है।
अंग्रेज महिला ने कहा-मुझे इनमें कुछ आश्चर्य दीखा। यह परम सुंदरी महिला तीन वर्ष में आत्म हत्या कर लेगी और मि० जिन्ना बादशाह बनेंगे। यह मैंने इन लोगों का भविष्य देखा है। इसी तथ्य को मैं उनके चेहरे पर पढ़ रही थी।
उपस्थित सभी लोग हँसे और उन दोनों बातों को असंभव बताया। उस परम सुंदरी पारसी महिला पर जिन्ना बेहद आसक्त थे। उसे सब प्रकार के सुख प्राप्त थे फिर वह आत्म हत्या क्यों करेगी ? उसी प्रकार उन दिनों किसी की कल्पना तक न थी कि, पाकिस्तान की माँग जोर पकड़ेगी और वह किसी दिन एक वास्तविकता बनेगी तथा जिन्ना उसके अध्यक्ष बनेंगे। दोनों ही बातें बुद्धिसंगत न थीं, इसलिए उस महिला की बात को निरर्थक माना गया।
पर कुछ दिन बाद दोनों ही बातें सच हो गईं। उस नवयुवती पत्नी को आत्म हत्या करनी पड़ी। पाकिस्तान बना और जिन्ना उसके अध्यक्ष-बादशाह हुए।
अलीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति जैदी को इस भविष्यवाणी की जानकारी थी। पाकिस्तान बनने के पाँच-छह वर्ष बाद श्री जैदी को लंदन जाना पड़ा। उन्हें उस अंग्रेज महिला की याद आई। पता उनकी डायरी में नोट था। वे उसके घर गए। उन्होंने उस महिला
से भारत तथा पाकिस्तान के भविष्य के बारे में पूछा, तो उसने इतना ही कहा—पूर्वी पाकिस्तान टूटकर अलग हो जायेगा। समय कितना लगेगा, कह नहीं सकती। उन दिनों पाकिस्तान के इस प्रकार विभाजन होने की कोई आशंका नहीं थी, इसलिए वह कथन अविश्वस्त ऊँचा। पर समय ने बताया कि, वह बात सच हो गई और उस अंग्रेज महिला की पुरानी भविष्यवाणी अक्षरशः सच निकली।
इस संदर्भ में इंडोनेशिया की एक घटना भी उल्लेखनीय है। २२ जून १६५५ के दिन इंडोनेशिया में सूर्यग्रहण पड़ा था। हिंद और बौद्ध दर्शन से प्रभावित होने के कारण इंडोनेशियाई लोगों में भी धर्म, आत्मा, परमात्मा के संबंध में लोगों की काफी जिज्ञासाएँ रहती हैं। ऐसे अवसरों पर वहाँ भी धार्मिक चर्चाएँ होती हैं। ऐसी ही बातचीतें कुछ लोगों में चल रही थीं। 'पाकसुबु' नामक एक अधेड़ व्यक्ति ने बताया-"यह उसके जीवन के लिए हानिकारक है और ऐसा लगता है कि, मेरी मृत्यु के दिन समीप.आ गये हैं।"
पाकसुबु के स्वास्थ्य में कोई खराबी न थी। उसकी आयु भी कोई अधिक न थी, इसलिए लोगों ने उसकी बात को हँसी में उड़ा दिया।
एक सप्ताह बीतने को आया-पाकसुबु सामान्य दिनों की तरह स्वस्थ और भला-चंगा रहा; किंतु सातवें दिन उसे हल्का-हल्का सा ज्वर चढ़ा और थोड़ी ही देर में उसका प्राणांत हो गया। एक सप्ताह पूर्व उसे जिस बात का आभास हुआ था, वह इतना सत्य निकला कि, इस पर उसके मित्रों और परिचितों ने बड़ा आश्चर्य किया।
'लंदन से हांगकांग तक' पुस्तक के विद्वान् लेखक हुसेन रोफे एक बार अपने घनिष्ठ मित्र जे० बी० से मिलने गये। यह अवसर बहुत दिन बाद आया था, इसलिए हुसेन रोफे अनेक कल्पनाएँ, अनेक योजनाएँ लेकर मित्र महोदय के पास गये थे; किंतु जैसे-जैसे वह घर के समीप पहुँचते गये, न जाने क्यों उनके मस्तिष्क में निराशा बढ़ती गई। अपनी इस अनायास स्थिति पर 'स्वयं रोफे को भी हैरानी थी। धीरे-धीरे उनके मस्तिष्क में न जाने कहाँ से दबे-दबे विचार उठने लगे कि, जे० बी० अपनी आत्महत्या करने जा रहा है। यह विचार भी इतने जोरदार कि उन विचारों के आगे और कोई विचार टिक ही न पा रहा था।
रोफे के आश्चर्य का उस समय ठिकाना न रहा, जब मित्र के घर पहुँचते ही उसने पाया कि वह जहर खरीद लाया है और आत्महत्या की बिल्कुल तैयारी में ही है। हसेन रोफे ठीक समय पर न पहुँच गए होते, तो उन सज्जन ने अपना प्राणांत ही कर लिया होता।
इस प्रकार की अतींद्रिय दिव्य शक्ति कोई भी व्यक्ति अपने में विकसित कर सकता है। उसके लिए योग साधनाओं का विधान है। किन्ही व्यक्तियों में यह शक्ति अनायास ही जाग्रत हो जाती है। इसे परमात्मा की अनुकंपा या पूर्व जन्मों के सुकृत्यों का सत्परिणाम ही कहा जा सकता है। व्यक्ति के भीतर प्रसुप्त दिव्य शक्तियों का आधार बताते हुए मैत्रायण्युपनिषद् के पंचम प्रपाठक में कहा गया है-
द्विधा वा एष आत्मानं बिभर्त्ययं यः प्राणो
यश्चासावादित्योऽथ द्वौ वा एतावास्तां पंचधा
नामांतर्बहिश्चाहोरात्रे तौ व्यावर्तेते असौ वा
आदित्यो बहिरात्मान्तरात्मांएवाश्रितोऽन्नमत्ति ।।१।।
अर्थात्-"वह परमात्मा दो प्रकार की आत्माओं (स्वरूपों) को धारण करता है, वह जो प्राण हैं और जो सूर्य है, ये दोनों प्रथम हुए। वे भीतर और बाहर दिन-रात फिरा करते हैं, वह सूर्य बाहर का अंतरात्मा है और प्राण अंतरात्मा है। इसकी गति को देखकर यह अनुमान किया जा सकता है कि, यह आत्मा है। वेद कहते हैं कि, यह गति रूप ही है। जिस विद्वान् के पाप नष्ट हो चुके हैं, वह सबका अध्यक्ष होता है, उसकी निष्ठा परमात्मा में ही होती है। उसका ज्ञान-चक्षु खुल जाता है और अंतरात्मा में ही स्थित रहता है। वह गति द्वारा बाहर भी चला जाता है। आत्मा की गति का अनुमान किया जा सकता है। ऐसा वेद कहते हैं।"
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- भविष्यवाणियों से सार्थक दिशा बोध
- भविष्यवक्ताओं की परंपरा
- अतींद्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि व आधार
- कल्पनाएँ सजीव सक्रिय
- श्रवण और दर्शन की दिव्य शक्तियाँ
- अंतर्निहित विभूतियों का आभास-प्रकाश
- पूर्वाभास और स्वप्न
- पूर्वाभास-संयोग नहीं तथ्य
- पूर्वाभास से मार्गदर्शन
- भूत और भविष्य - ज्ञात और ज्ञेय
- सपनों के झरोखे से
- पूर्वाभास और अतींद्रिय दर्शन के वैज्ञानिक आधार
- समय फैलता व सिकुड़ता है
- समय और चेतना से परे