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बाजे पायलियाँ के घुँघरू

कन्हैयालाल मिश्र

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :228
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 422
आईएसबीएन :81-263-0204-6

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सहज, सरस संस्मरणात्मक शैली में लिखी गयी प्रभाकर जी की रचना बाजे पायलियाँ के घुँघरू।


मैं कुरसी पर बैठ गया। मुझे फिर घबराहट उठी और मन में आया कि उठ चलूँ, पर मैंने तभी जेब में हाथ डालकर माधो की माँ के उस अक्षय कवच को छू लिया। इससे मुझे कुछ ताक़त मिली और तभी मैंने मन-ही-मन कहा, हे हनुमानजी महाराज, मुझे सफलता दो। मैं आज ही आपको सवा की जगह अढ़ाई रुपये का प्रसाद चढ़ाऊँगा।

प्रिंसिपल त्रिवेदी सभापति चुने गये, इसलिए बाबू राजकुमार एम. एल. ए. ही पहले वक्ता रहे। वे बोल रहे थे पर मैं उनका भाषण सुन न रहा था। हाँ जी, भाषण मेरे कानों में पड़ रहा था, पर कलेजे में उतर न रहा था। मैं शायद अपना भाषण सोच रहा था और शायद कुछ भी न सोच रहा था।

उनका भाषण ढीला रहा, यह मैं ज़रूर समझ पाया। उसमें एक भी बात नयी न थी। सच यह है कि वे उन लोगों में हैं, जो मर जाते हैं और फिर भी साँस लेना बन्द नहीं करते।

अब मन्त्रीजी मेरा परिचय दे रहे थे। मैं अपनी कुरसी से उठा तो मुझे लगा कि मेरे पैर सो गये हैं। मैंने अपने को सँभाला और भाषण के नोट्स की परची बायें हाथ में ले ली। मेज़ के पास पहुँचते ही सभापतिजी ने कहा, “आइए, कितनी देर बोलिएगा?” मैंने कहा, “आधे घण्टे से कुछ ज़्यादा ही समझिए!" पर मुझे लगा कि मेरी आवाज़ कुछ बैठी हुई है। पिण्डलियाँ तो काँप ही रही थीं।

मैंने सभा की ओर देखा, कोई दो हज़ार आँखें मुझे देख रही थीं। सहसा मेरी आँखें बाबू राजकुमार की आँखों से टकरायीं-बस एक बड़ा घण्टा-सा मेरे कलेजे में घन्न-सा लगा और यह भी कि तख्त नीचे को जा रहा है।

श्रीमान सभापतिजी और भाइयो, मैंने कहा और तब मशालवाले की कहानी आरम्भ की, पर जाने कैसे मेरे मुँह से निकल पड़ा, मेरे सिर पर जलती मशाल बँधी है।

बस जलसे के लोग हँस पड़े और लड़कों ने तालियाँ बजा दीं। मेरा रोम-रोम इस तरह खिल गया कि जैसे मुझ पर ये कई सौ हण्टर एक साथ पड़े हों! मेरी आँखें बन्द हो गयीं या उनमें अँधरा छा गया और जब वे खुलीं मैं पिछले कमरे में लेटा था।

सब कुछ मुझे याद हो आया। जलसा चल रहा था, मैं चुपके से अपने घर आ गया क्योंकि अब वहाँ बैठना तारकूल लगाकर शीशे में मुँह देखना था। जीना अब मुझे बोझ था। बोझ उठाया जा सकता है, पर जिया तो अब नहीं जा सकता था। हाँ, मुझे मर जाना है; और क्या मरना ही बाक़ी है।

यह सारी घटनावली सुनाने के बाद श्यामनन्दन बाबू ने बताया कि मेरा सिर उस समय फटा जा रहा था। मुझे याद आयी सारीडन की गोली और, और उसके साथ ही शेरीडन-इंग्लैण्ड का राजनीतिज्ञ। वह जब पहली बार पार्लामेण्ट में बोला तो घबरा गया। पत्रकारों ने उससे कहा, "कोई और काम कीजिए आप", पर जब वही वारेन हेस्टिंग्स के विरुद्ध पार्लामेण्ट में बोला तो प्रसिद्ध वक्ता फ़ाक्स ने कहा, "ऐसा भाषण कॉमन्स सभा में आज तक कभी नहीं हुआ।

मैंने सोचा, मैं मर जाऊँ? मेरे साहस ने उत्तर दिया कि ना, मैं मरूँगा नहीं और अपने नये-नये प्रयत्नों से नयी सफलता पाऊँगा और एक दिन शेरीडन की तरह यशस्वी हूँगा।

असफलताएँ जीवन में आती ही रहती हैं, उनसे घबराकर बैठ न जाइए। उन्हें नये और पहले से ज़ोरदार एवं व्यवस्थित प्रयत्नों का निमन्त्रण मानिए। फिर से जूझिए, फिर-फिर जूझिए और सफलता तक पहुँचिए, जो आपसे रूठी नहीं है, आपकी प्रतीक्षा कर रही है।


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    अनुक्रम

  1. उग-उभरती पीढ़ियों के हाथों में
  2. यह क्या पढ़ रहे हैं आप?
  3. यह किसका सिनेमा है?
  4. मैं आँख फोड़कर चलूँ या आप बोतल न रखें?
  5. छोटी कैची की एक ही लपलपी में !
  6. यह सड़क बोलती है !
  7. धूप-बत्ती : बुझी, जली !
  8. सहो मत, तोड़ फेंको !
  9. मैं भी लड़ा, तुम भी लड़े, पर जीता कौन?
  10. जी, वे घर में नहीं हैं !
  11. झेंपो मत, रस लो !
  12. पाप के चार हथियार !
  13. जब मैं पंचायत में पहली बार सफल हुआ !
  14. मैं पशुओं में हूँ, पशु-जैसा ही हूँ पर पशु नहीं हूँ !
  15. जब हम सिर्फ एक इकन्नी बचाते हैं
  16. चिड़िया, भैंसा और बछिया
  17. पाँच सौ छह सौ क्या?
  18. बिड़ला-मन्दिर देखने चलोगे?
  19. छोटा-सा पानदान, नन्हा-सा ताला
  20. शरद् पूर्णिमा की खिलखिलाती रात में !
  21. गरम ख़त : ठण्डा जवाब !
  22. जब उन्होंने तालियाँ बजा दी !
  23. उस बेवकूफ़ ने जब मुझे दाद दी !
  24. रहो खाट पर सोय !
  25. जब मैंने नया पोस्टर पढ़ा !
  26. अजी, क्या रखा है इन बातों में !
  27. बेईमान का ईमान, हिंसक की अहिंसा और चोर का दान !
  28. सीता और मीरा !
  29. मेरे मित्र की खोटी अठन्नी !
  30. एक था पेड़ और एक था ठूंठ !
  31. लीजिए, आदमी बनिए !
  32. अजी, होना-हवाना क्या है?
  33. अधूरा कभी नहीं, पूरा और पूरी तरह !
  34. दुनिया दुखों का घर है !
  35. बल-बहादुरी : एक चिन्तन
  36. पुण्य पर्वत की उस पिकनिक में

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