आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
"विश्वास की इच्छा" (दि विल टु बिलीव) नामक पुस्तक के लेखक वैज्ञानिक विलियम जेम्स और हेंडरसन ने जब महान् वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत (थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी) को पढ़ा—समय, ब्रह्मांड, गति और सृष्टि के मूल तत्त्वों (टाइम, स्पेस, मोशन एंड कॉजेशन) के साथ व्यक्तिगत अहंता (सेल्फ) का तुलनात्मक अध्ययन किया, तो उन्हें भी यही कहना पडा कि भौतिक जगत् संभवतः संपूर्ण नहीं है। हमारा संपूर्ण भौतिक जीवन आध्यात्मिक वातावरण में पल रहा है। उस परम पालक आध्यात्मिक शक्ति को ही लक्ष्य कह सकते हैं। ऐसी शक्ति को अमान्य नहीं किया जा सकता।
उन्होंने आगे बताया कि वह तत्त्व जो विश्व के यथार्थ का निर्देश करते हैं, भौतिक शास्त्र के द्वारा विश्लेषण (एनालाइज) नहीं किये जा सकते। उसके लिए एक अलग आध्यात्मिक नक्शा (स्केच) तैयार करना पड़ेगा और सचेतन इकाइयों द्वारा ही उनका अध्ययन करना पड़ेगा। यह सचेतन इकाइयाँ हमारे विचार, श्रद्धा, अनुभूतियाँ, तर्क और भावनायें हैं। उन्हीं के द्वारा अध्यात्म को स्पष्ट किया जा सकता है। उन्हीं के विकास द्वारा मनुष्य जीवन में अभीष्ट सुख-शांति की प्राप्ति की जा सकती है। भावनाओं की तृप्ति भावनायें ही कर सकती हैं, पदार्थ नहीं। इसलिए भाव-विज्ञान (अध्यात्म) को हम छोड़ नहीं सकते।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न