आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
तन, मन और धन लौकिक जीवन की तीन विभूतियाँ मानी गई हैं। संसार के सुखों का आधार भी इन्हीं को कहा गया है। शरीर स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे और अभाव का आक्रमण न हो तो फिर मनुष्य का सुखी रहना असंभाव्य नहीं है। यद्यपि इनके संयोग से मिलने वाला सुख चिरस्थायी नहीं होता, तथापि जीवन में उसका भी एक महत्त्व और स्थान है। उसे हेय और नगण्य नहीं कहा जा सकता है।
लौकिक सुख हेय और नगण्य तब ही माना जाता है, जब इसकी अधिक लिप्सा मनुष्य के आत्मिक सुख में बाधा डालती है। वैसे सुखपूर्वक जीवन-यापन करना बुरा नहीं। संसार में जीव आया ही सुख की खोज करने और उसको प्राप्त करने है किंतु वह सुख मात्र सांसारिक नहीं है। वह शाश्वत सुख है, जो आत्मा-परमात्मा के साक्षात्कार से प्राप्त होता है। मनुष्य को लौकिक सुखों तक ही सीमित न रह जाना चाहिए। उसे चाहिये कि वह उनसे ऊपर उठकर अलौकिक और आत्मिक सुख पाने का प्रयत्न भी करे। हाँ, लौकिक सुख-सुविधा को वह उस उद्देश्य के लिए सोपान बना सकता है।
जो मनुष्य लौकिक सुख से सर्वथा वंचित है, हर समय दुःखों, क्लेशों और शोक-संतापों से घिरा रहता है, वह आत्मिक प्रगति कदाचित् ही कर पाता है। कातर और दुःखी व्यक्ति साधारण सांसारिक प्रगति तक नहीं कर पाता, तब आत्मिक उन्नति तो और भी कठिन है। आत्मिक प्रगति के लिए जिस अखंड साधना की आवश्यकता है, वह दुःखी अवस्था में नहीं की जा सकती। सांसारिक समस्याओं के साथ ही आत्मिक साधना संभव है। समस्याओं के रहते और उनकी हठपूर्वक उपेक्षा करने से जो परिस्थतियाँ उत्पन्न होंगी, वे आत्मिक साधना में अवश्य अवरोध बनकर खड़ी होंगी। सांसारिक समस्याओं की भी अपनी एक सत्ता होती है, जिसकी अवज्ञा कर सकना असंभव नहीं तो सरल भी नहीं हैं।
संसार भर में समस्याओं की कमी नहीं। किसी के सम्मुख शारीरिक समस्या होती है तो किसी के सम्मुख मानसिक और किसी को आर्थिक समस्या घेरे रहती है। किसी न किसी प्रकार की समस्या प्रायः सबके पीछे लगी रहती है। समस्याओं से सर्वथा रहित कदाचित ही कोई व्यक्ति रहता है। कोई यदि शरीर से दःखी है, निर्बल, बुढ़ापा घेरे है तो कोई मन से उद्विग्न है। कहीं सम्मान में धक्का लग गया है। संतान नालायक निकल गई और कोई विरोध उत्पन्न हो गया है। बहुत से जीविका, व्यय और व्यापार, व्यवसाय में चढ़ाव-उतार के कारण आर्थिक संकट में फँसे हैं। इस प्रकार शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं में से कोई-न-कोई समस्या सबके सामने खड़ी ही रहती है। इन समस्याओं का समाधान किये बिना उन्नति और प्रगति का मार्ग पा लेना बहुत कठिन है।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न