आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
|
10 पाठकों को प्रिय 18 पाठक हैं |
अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
भारतीय समाज आज जिस हीनावस्था में दिखलाई दे रहा है, उसका कारण यही है कि उसने अपने जीवन से आध्यात्मिक आदर्शों का एक प्रकार से बहिष्कार कर दिया है। कोरे भौतिक-आदर्श को अपनाकर चलने से जीवन के हर क्षेत्र में उसकी गतिविधि दूषित हो गई है। उसका चरित्र और आचरण निम्नकोटि का हो गया है। इस आदर्शहीन जीवन का जो परिणाम होना चाहिए, वह रोग-दोष, शोक-संताप के रूप में सबके सामने है। साधन, सामग्री और अवकाश व अवसर होने पर भी कहीं भी, किसी ओर सुख-शांति के दर्शन नहीं हो रहे हैं दुर्भाग्य से आज देश में उल्टी विचारधारा चल पड़ी है।
पहले जो लोग अध्यात्मवाद का आश्रय लेकर चलते थे, वे ही सभ्य, शिष्ट और सुसंस्कृत माने जाते थे। किंतु आज सभ्यता का तमगा उन लोगों के पास माना जाता है, जो अध्यात्म के प्रति उपेक्षा और तिरस्कार का भाव रखते हैं। जो अध्यात्म की, लोक-परलोक की, धर्म-कर्म की बात करता है, उसे मूर्ख, प्रतिगामी और पिछड़ा हुआ समझा जाता है। आध्यात्मिक विचारधारा के लोगों का उपहास किया जाता है। जिस समाज की विचारधारा इस प्रकार प्रतिकूलतापूर्ण हो गई हो, उसका सुख-सौभाग्य अस्त हो ही जाना चाहिए।
अध्यात्मवाद की उपेक्षा का जहाँ मुख्य कारण यह है कि लोग अज्ञानवश भौतिकवाद के वशीभूत हो गए हैं, उन्हें विषय-वासना और भोग, एषणाओं ने बुरी तरह जकड़ लिया है; वहाँ एक कारण यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि आज अध्यात्मवाद का सच्चा स्वरूप लोगों के सामने नहीं है। यदि अपनी वह प्राचीनकाल वाली उपयोगिता अध्यात्मवाद आज भी उपस्थित कर सके, अपना वास्तविक स्वरूप और सच्चा महत्त्व प्रकट कर सके तो निश्चय ही उसके प्रति समाज की सारी उपेक्षा और तिरस्कार भाव तिरोहित होते देर न लगे। किंतु अप्रकटन की स्थिति से किसी सत्य सिद्ध विज्ञान का न तो महत्त्व ही घट जाता है और न ही उसकी उपयोगिता ही नष्ट हो जाती है। अध्यात्म एक सत्य सिद्ध विज्ञान है। उसका महत्त्व सदा बना रहेगा। यह मध्यकालीन अंधकार शीघ्र ही दूर होगा और अध्यात्मवाद मानव-जीवन में अपना समुचित स्थान पाकर समाज का शोक-संताप हरेगा। कोई भी अध्यात्मवादी व्यक्ति इस विश्वास से विचलित नहीं हो सकता।
|
- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न