आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
भारतीय अध्यात्मवाद कितना शक्तिशाली विज्ञान है यदि इसका प्रमाण पाना है तो भारतीय ऋषियों, तपस्वियों व साधकों का जीवन और उनकी घटनाओं को देखना होगा। भारतीय ऋषि-मुनि यदा-कदा आवश्यकता पड़ने पर ऐसे-ऐसे विलक्षण और आश्चर्यजनक कार्य कर दिखाते थे, जिन्हें चमत्कार कहा जा सकता है। उनके आशीर्वाद से दूसरों का भला और शाप से अहित होने के असंख्यों उदाहरण पुराणों और इतिहासों में भरे पड़े हैं। महात्माओं की आध्यात्मिक शक्ति से भयभीत रहकर बड़े-बड़े बलधारी राजा-महाराजा उनकी प्रसन्नता के लिए विविध उपचार करते रहते थे।
आज भी समाज जिन महात्माओं तथा साधकों की पूजा-प्रतिष्ठा करता है, उसका कारण भी उनका आध्यात्मिक तेज ही है। वैसे सामान्यतः पूजा-प्रतिष्ठा का हेतु धन-वैभव और शक्ति सत्ता आदि का तो उनके पास लेशमात्र भी नहीं होता।
योग शास्त्रों में जिन सिद्धियों और विभूतियों का वर्णन किया गया है, वे वस्तुतः आध्यात्मिक साधना की ही उपलब्धियाँ हैं। योगशास्त्र के अध्येता भली प्रकार जानते हैं कि उक्त शास्त्र की दक्षिण-मार्गी और वाम-मार्गी जिन अलौकिक विभूतियों और सिद्धियों का विस्तार से वर्णन किया गया है, उसके विधि-विधान के अंतर्गत अध्यात्म साधना का सार ही सन्निहित है। अध्यात्म साधना में जो व्यक्ति जितनी सीमा तक अग्रसर हो जाता है, वह उस सीमा तक चमत्कारी व्यक्ति बन जाता है। वे ऐसी समर्थ सूक्ष्म-शक्तियों का उपार्जन कर लेते हैं, जिनके द्वारा अभाग्यग्रस्त लोगों का भी कल्याण संपादन किया जा सकता है। अध्यात्म की शक्तियाँ अपार एवं अपरिमेय हैं। इस शक्ति के आधार पर संसार के ऐसे कार्य भी सरलतापूर्वक किए जा सकते हैं, जिन्हें संसार असंभव कह सकता है। अध्यात्म एक सर्वांगीण संपूर्ण विज्ञान है, जिसकी आराधना से साधारण मनुष्य एक चमत्कारी दिव्य पुरुष बन सकता है। अपने इस महान् विज्ञान की उपेक्षा करने से ही आज का भारतीय समाज इस अधोगति को प्राप्त हुआ है।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न