आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
देखा जाता है कि जो लोग उन्नतिशील स्वभाव के होते हैं उन्हें कहीं न कहीं से आगे बढ़ाने वाली सहायताएँ प्राप्त होती रहती हैं। कभी-कभी तो अचानक ऐसी मदद मिल जाती हैं, जिसकी पहले कुछ भी आशा नहीं थी। छोटे-छोटे आदमी बड़े-बड़े काम कर डालते हैं, उन्हें अनायास ऐसे अवसर मिल जाते हैं, जिससे बहुत बड़ी उन्नति का रास्ता खुल जाता है। साधारण बुद्धि के लोग उन्हें देखकर ऐसा कहा करते हैं कि अमुक व्यक्ति का भाग्योदय हुआ, उसके भाग्य ने अचानक ऐसे कारण उपस्थित कर दिये, जिससे वह तरक्की की ओर बढ़ गया। हम इसे ईश्वर की कृपा कहते हैं। पिता अपने बालकों की आदतों और इच्छाओं को परखता है, जो लड़का पढ़ने के लिए बेचैन है, उसे स्कूल भेजता है, जो व्यापार चाहता है उसे दुकान खुलवाता है, जो निठल्ला है उसे पशु चराने का काम सौंप देता है। व्यापार में पैसे की जरूरत समझता है तो पिता उसके लिए व्यवस्था करता है, पढ़ने वाले की पढ़ाई का खर्च जुटाता है। पढाई खर्च के लिए अचानक पहुँचा हुआ मनीआर्डर देखकर कोई नादान लड़का यह ख्याल कर सकता है कि यह पैसा अकस्मात् कहीं से आ टूटा है, पर असल में इस व्यवस्थित विश्व में अकस्मात् कुछ नहीं है, सब कार्य व्यवस्थापूर्वक चल रहे हैं। पढ़ने की उत्कट इच्छा रखने वाला बालक पिता का ध्यान बलात् अपनी ओर खींचता है और उसे पढ़ाई में मदद करने के लिए बाध्य करता है। ठलुआ स्वभाव के लड़के को चरवाहा बनाकर पिता निश्चित है, पर उद्योगी बालक को तो वह निरालंब नहीं छोड़ सकता।
जो मनुष्य आगे बढ़ने की तीव्र इच्छा करते हैं, उन्नति के लिए सच्चे हृदय से जाँफिसानी के साथ प्रयत्नशील हैं, उनके प्रशंसनीय उद्योग को देखकर ईश्वर प्रसन्न होता है, अपना सच्चा आज्ञापालक समझता है और उसे प्यार करता है। जिस पर उस परम पिता का विशेष स्नेह है, उसे यदि वह कुछ विशेष सहायता दे देता है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। एक प्रसिद्ध कहावत है कि-"ईश्वर उसकी मदद करता है, जो अपनी मदद आप करता है।" उन्नतिशील स्वभाव के लोगों को उनकी उचित प्रवृत्ति में सहायता करने के लिए, परम पिता परमात्मा ऐसे साधन उपस्थित कर देता है, जिनसे उनकी यात्रा सरल हो जाती है। अचानक, अनिश्चित एवं अज्ञात सहायताओं का मिल जाना इसी प्रकार संभव होता है। बाइबिल का वचन है कि "जो माँगता है उसे दिया जाता है, जो (द्वार) खटखटाता है उसके लिए खोला जाता है। रामायण कहती है कि-"जिहि कर जिहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलत न कछु संदेहू।" यह विश्व प्रभु की सर्वांगपूर्ण कृति है, यहाँ किसी वस्तु का अभाव नहीं है। सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है, बशर्ते कि पाने की उत्कट लालसा के साथ तीव्र प्रयत्न भी हो। छोटा बच्चा जब घुटनों चलता है तो माता उसे खड़ा होकर चलना सिखाती है।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न