आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
विभिन्न प्रकार की महत्ताओं की जननी की तीन शक्तियाँ ठहराई गई हैं। उन तीनों को जो जिस मात्रा में उपार्जित कर लेता है, वह उतना ही उन्नतिशील कहलाता है। भगवती आद्यशक्ति तीन रूपों में पूजी जाती है—(१) महासरस्वती, (२) महालक्ष्मी, (३) महाकाली। शिव के साथ में शक्ति का संयोग है। भगवान् शंकराचार्य ने यह कहा है कि शक्ति के बिना शिव का स्पंदन नहीं होता। जीव की उन्नति देह की सहायता से होती है, वैसे ही शिव तत्त्व का स्पंदन शक्ति द्वारा होता है। भक्ति के बिना ईश्वर नहीं मिलता, शक्ति के बिना शिव नहीं मिलता—कल्याण का मार्ग प्राप्त नहीं होता। ब्रह्म प्राप्ति में, आत्मिक उन्नति में, भगवती आद्यशक्ति की सहायता आवश्यक है। अशक्त मनुष्य बातूनी छप्पर बाँध सकते हैं, पर वे वस्तुतः प्राप्त कुछ नहीं कर सकते। सांसारिक आनंद से लेकर ब्रह्मानंद तक मातेश्वरी शक्ति का ही प्रसाद है।
भारतीय अध्यात्म शास्त्र में महासरस्वती, महालक्ष्मी, महाकाली इन तीन महाशक्तियों की उपासना का बड़ा माहात्म्य गाया गया है, इनकी कृपा से अनेकानेक सिद्धि-संपदाएँ प्राप्त होने का फल बताया गया है। सविस्तार इनकी आराधना का वर्णन है। महासरस्वती का अर्थ है-विद्या, बुद्धि, तर्क, विवेचना, जानकारी, चतुराई। महालक्ष्मी का अर्थ है-धन, संपत्ति, जमीन, जायदाद। महाकाली का अर्थ है-शत्रु का दमन करने वाली शक्ति, तलवार, कूटनीति, दलबंदी। इन तीन शक्तियों की महत्ता हमारे आध्यात्मिक आचार्यों ने बहुत प्राचीनकाल में जान ली थी और समझ लिया था कि जिस व्यक्ति को, जिस जाति को, जिस राष्ट्र को जीवित रहना है, किसी दिशा में उन्नति करनी है, उसे इन तीन तत्त्वों का अवलंबन अवश्य ग्रहण करना पड़ेगा। यही कारण है कि त्रिशूलधारिणी भगवती शक्ति की आराधना की जाती है। जो ठीक तरह से उनकी उपासना करते हैं, उन्हें मातेश्वरी का प्रसाद प्राप्त होता है।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न