श्रंगार-विलास >> अनायास रति अनायास रतिमस्तराम मस्त
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यदि रास्ते में ऐसा कुछ हो जाये जो कि तुम्हें हमेशा के लिए याद रह जाये तो...
उसे सहलाते हुए जब मेरा हाथ पेट की त्वचा को स्पर्श करता हुआ बायें कुच के
पास पहुँच ही रहा था, कि अचानक उसके दिल की धक-धक मुझे सुनाई दी। शायद मेंरी
उंगलियों का दवाब कुछ अधिक हुआ होगा। उसकी धुकपुकी बहुत तेज चल रही थी। उसके
दिल की धक-धक सुनकर मेरा ध्यान अपनी धड़कन पर गया तो मैंने पाया कि वह भी
काफी तेज ही चल रही थी। एक बार फिर थोड़ी देर तक कुच से खेलने के बाद, मैं
फिर से उसके कटि प्रदेश में गया। झाड़ियों के झुरमुट से होते हुए इस बार
मैंने बालों के नीचे की पतली त्वचा को अपनी सख्त और खुरदरी उंगलियों से
स्पर्श किया तो वह फिर से सिहर उठी। मैंने अपनी तर्जनी को अत्यंत सावधानी से
और हल्के हाथों से उसकी त्वचा पर ऊपर नीचे फिराया। असल में लड़कियों के इस
शारीरिक भाग की याद पहले देखे गये चित्रों से कर रहा था और यह समझने का
प्रयास कर रहा था कि क्या जैसा चित्रों मे दिखता है, वैसा ही होता है। पहला
झटका तो यह जानकर लगा कि कागज पर बने चित्रों में इसकी बारीकी बयान करने की
क्षमता दूर-दूर तक नहीं होती। मैंने जो भी चार-छह ब्लू फिल्मे देखीं थी उनमें
से किसी में भी इस बात पर मेरा ध्यान नहीं गया था। इसके अतिरिक्त फिल्मों में
तो अभिनेता और अभिनेत्री काम करते हैं, उनका असली जीवन में, और वह भी, इस
प्रकार की परिस्थितियों में मिली लड़की से क्या मुकाबला!
कई बार उंगली ऊपर-नीचे फिराने के बाद एक बार फिर से मेरे दिमाग में बल्ब जला
और मुझे समझ में आया कि पहले की बनिस्बत अब यहाँ कुछ चिकनाई जैसी फैल गई थी।
इस प्रकार का अनुभव पहली बार हो रहा था! मेरी उंगली ने कुछ और चक्कर लगाए तो
निश्चित हो गया कि अब वहाँ पर चिकनाई बढ़ती जा रही थी। उसने मुझे बायीं ओर से
खींच कर अपने ऊपर लाना चाहा, तो उसका इशारा समझने में कुछ देर लगी। तभी उसने
अंधेरे में ढूँढ़कर मेरा पैंट खोलना चाहा। अब कहीं जाकर उसकी अनकही बात मुझे
समझ में आयी।
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