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आजाद हिन्द फौज की कहानी

एस. ए. अय्यर

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :97
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4594
आईएसबीएन :81-237-0256-4

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आजाद हिन्द फौज की रोचक कहानी....


22. अंतिम ज्ञात हवाई उड़ान

नेताजी और हबीब ने बोंबर जहाज में प्रवेश करने से पूर्व हम पांचों को जो पीछे रह गये थे 'जयहिंद' कहा। जापनियों ने नेताजी को यह वचन दिया था कि वे शीघ्र ही किसी हवाई जहाज की व्यवस्था करेंगे जिससे हमें भी नेताजी के गंतव्य स्थान पर पहुचाया जा सके। हम सैगोन में दो दिन नेताजी के संबंध में कोई समाचार बिना प्राप्त किये पड़े रहे। 19 तारीख को जापनियों ने हमें एक सीट जापान के लिए दी और दूसरों की हनोई जाने के लिए व्यवस्था की। उन्होंने हमें यह बताया कि जापान जाने वाला व्यक्ति नेताजी से शीघ्र मिल लेगा और दूसरे इसके पश्चात उनके पास पहुंच जायेंगे। अब हमें निर्णय करना था कि जापान कौन जाये? मेरे साथियों ने मुझे ही जाने के लिए कहा और मैं गया।

वायुयान जापान के लिए 11 बजे उड़ा और वायुयान के आकाश में उड़ने से कुछ मिनट पूर्व दो जापानियों ने मुझे बताया कि नेताजी को कुछ हो गया था। मैं हवाई जहाज में सवार होने के लिए शीघ्रता में था इसलिए उनसे कोई और प्रश्न न कर सका। जब वायुयान कैंटन हवाई अड्डे पर पेट्रोल लेने संध्या समय उतरा तो जापानी कर्नल ने जो मेरे साथ था मुझे स्तब्ध करने वाला समाचार दिया कि नेताजी सैगोन से प्रस्थान करने के दूसरे दिन ही फोरमोसा द्वीप में वायुयान के टकरा जाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। मैंने कर्नल से स्पष्ट कहा कि यदि जापानी नेताजी के शव को सिंगापुर अथवा टोकियो नहीं ले जाते तो नेताजी की वायुयान दुर्घटना के कारण मृत्यु की जापानी कहानी का पूर्वी एशिया स्थित भारतीय विश्वास नहीं करेंगे। जब मैं 22 अगस्त 1945 को टोकियो पहुंचा तो अश्रुपूर्ण नेत्रों से जापान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मुझे वायुयान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु का समाचार पुनः बताया। और उन्होंने मुझ से टोकियो रेडियो से प्रथम बार प्रसारण के लिए नेताजी के वायुयान दुर्घटना-ग्रस्त हो जाने के समाचार को लिखने में सहायता मांगी। पूर्वी एशिया में भारतीय इस समाचार को सुनकर बहुत दुखी हुए परंतु जैसी मैंने जापानियों को चेतावनी दी थी उन्हें उनकी मृत्यु का विश्वास नहीं हुआ।

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