विविध >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधरी
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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक
फ्रांस पहुंचने के महीने भर में ही पेरिस मेंकवि के चित्रों की नुमाइश का इंतजाम हो गया पिगाल में। इसका इंतजाम अर्जेंटीना की उसी विदुषी महिला विक्टोरिया ओकाम्पो ने किया था। खबर मिलतेही वे तुरंत पेरिस पहुंची, जहां उन्हीं की कोशिशों से नुमाइश का काम सफलता से पूरा हुआ। ओकाम्पो से रवीन्द्रनाथ की वही आखिरी भेंट थी। रवीन्द्रनाथकी जन्मशती के दौरान ब्यूनस आयर्स में बड़े धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाया गया था। इसके अलावा वहां की एक सड़क का नाम भी उन्होंने रवीन्द्रनाथ के नामपर रखवाया। रवीन्द्रनाथ पेरिस का काम पूरा करके इंग्लैंड चले गए। लंदन से होते हुए वे बर्मिंघम के उपनगर उडब्रुक पहुंचे। वहां के ईसाइयों के एकआश्रम में रहे।
इधर भारत में गांधी जी की अगुवाई में दूसरी बारकानून भंग आंदोलन शुरू हुआ। गांधी जी ने इस बार पूर्ण स्वराज की मांग की थी। उन्होंने दांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा। बंगाल के क्रांतिकारियोंने भी मास्टर सूर्य सेन की अगुवाई में चटगांव के हथियार खजाने को लूट लिया। इसके बाद ढाका में हिन्दू-मुसलमान दंगे शुरू हो गए। इंग्लैंड मेंरहने के दौरान रवीन्द्रनाथ के पास देश की हर खबर पहुंचती रही। गांधी जी से मतभेद होते हुए भी उन्होंने विदेशी पत्र-पत्रिकाओं में इस कानून भंगआंदोलन के प्रति अपनी पूरी सहमति जताई।
आक्सफोर्ड के ''हिबर्ट भाषण'' में कवि के भाषण का विषय था- ''द रिलीजन आप मैन'' (मनुष्य काधर्म)। भाषण के बाद डर्टिंगटन हॉल में एलमहर्स्ट के मेहमान होकर कुछ दिन रहने के बाद रवीन्द्रनाथ 12 जुलाई 1930 को जर्मनी गए। जर्मनी केपार्लियामेंट राइथस्टाग में जर्मन प्रधानमंत्री डा. ब्रुलिंग तथा अन्य सदस्यों के साथ रवीन्द्रनाथ का परिचय कराया गया। इसके बाद उन्होंनेवैज्ञानिक आइंस्टाइन से भेंट की। वे उनके घर गए। भगवान के वजूद पर काफी देर तक आइंस्टाइन से रवीन्द्रनाथ की बात हुई। इस चर्चा में रवीन्द्रनाथ नेकिसी वैज्ञानिक की तरह बहस की और वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने कवि की तरह।
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