मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
अचानक!
अलादीन को एकाएक चिन्ता सताने लगी कि-'वह राजकुमारी को रुखसत कराकर आखिर लेकर कहाँ जायेगा? उसके पास तो एक छोटा-सा मकान था। महलों में पली-बढ़ी शहजादी को वह भला उस छोटे-से मकान में कैसे ले जा सकता था?
उसने फौरन ही जिन्न को अकेले में बुलाया। उस समय जिन्न भी एक सौदागर के भेष में बारातियों के ही साथ था। जिन्न को अकेले में बुलाकर अलादीन ने उसे अपनी परेशानी बतायी। उसकी बात सुनकर जिन्न खूब जोर से हँस पड़ा। वह बोला-“अरे मेरे भोले आका! आप तो बेकार में ही परेशान हो रहे हैं। पलक झपकते ही मैं आपके लिये ऐसा शानदार महल खड़ा कर दूंगा जो आज तक किसी ने भी न देखा और न सुना ही होगा। ऐसे महल की मिसाल पूरी दुनिया में न होगी। आप बिल्कुल फिक्र न करें। लेकिन मुझे कुछ देर के लिये यहाँ से जाना होगा।”
“ठीक है दोस्त तुम जाओ।”
जिन्न बादशाह के पास पहुँचा और बोला-“बादशाह सलामत जिस तरह की आवभगत आपने की है, वह काबिलेतारीफ है। मैं और सभी बाराती इससे बहुत खुश हैं। लेकिन मुझे एक जरूरी काम से अभी इसी वक्त रवाना होना है। मेरे एक अजीज दोस्त की भी आज ही शादी है, जिसमें मुझे शिरकत करनी बहुत जरूरी है। अगर मैं उसे शादी में शामिल न हुआ तो मेरा दोस्त मुझसे बहुत नाराज हो जायेगा और फिर शायद वह कभी मुझसे बात नहीं करेगा। इसलिये अब मैं आपसे इजाजत चाहूँगा।"
बादशाह बोला-“आप बारात को जिस तरह सजाकर लाये इसके लिये मैं आपका शुक्रगुजार हूँ। इससे मेरी बगदाद में इज्जत और बढ़ गयी। मैं इसके लिये आपका अहसानमंद हूँ।”
बादशाह की बात सुनकर जिन्न ने अपने कपड़ों में से एक डिबिया निकाली और उसे बादशाह की ओर बढ़ाते हुए बोला-“शहजादी की शादी में एक मामूली-सा तोहफा मैं शहजादी को देना चाहता हूँ, आप इसे कबूल करके शहजादी को दे दें।"
बादशाह ने डिबिया को लेकर जैसे ही उसे खोला, सारा माहौल रंगीन रोशनी से सराबोर हो गया। डिबिया में एक जोड़ी कानों के झुमके थे। वह रोशनी उन्हीं झुमकों में से निकल रही थी। यह झुमके शहजादी के लिये जिन्न खासतौर पर ईरान से लेकर आया था। उन झुमकों को देखकर पूरा दरबार हैरान रह गया। उसके बाद सौदागर बने जिन्न ने महफिल में सबको सलाम किया और वहाँ से चला गया।
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