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कालिदास

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4791
आईएसबीएन :81-7508-478-2

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संस्कृत के महानतम कवि कालिदास के विषय में प्रस्तुत यह पुस्तक....

Kalidas A Hindi Book by Anant Pai

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कालिदास

संस्कृत के महानतम कवि कालिदास के विषय में जो कुछ जानकारी मिलती है। वह मात्र उनकी रचनाओं से । उनसे ज्ञात होता है कि उनका जन्म शायद ब्राह्मण कुल में हुआ था। और वे शिव के भक्त थे। उसके अतिरिक्त उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में और कुछ सामग्री उपलब्ध नहीं है। न उनके माता-पिता के नाम का पता चलता है न जन्म-स्थान का। जानकारी के इस अभाव ने उनके बारे में कई दंत कथांओं को जन्म दिया। उनमें कुछ आज भी प्रचलित हैं। प्रस्तुत रचना एक ऐसी ही कथा पर आधारित है।

कालिदास ने संस्कृत में अनेक महाकाव्यों-रघुवंशम्, कुमारसम्भवम् तथा मेघदूत-एवं नाटकों-ऋतुसंहारम् अभिज्ञान शाकुंतलम्, विक्रमोर्वशीयम् और मालविकाग्निमित्रम्-की रचना की।उनसेउन्हें बड़ा स्नेह था।

कालिदास के महाकाव्यों में और नाटकों में जो वर्णन आये हैं उनसे पता चलता है कि उन्होंने बहुत बड़े क्षेत्र को घूम फिर कर देखा था। उनके काव्य में पहाड़ी जलधारा जैसी ताजगी तथा सुन्दरता है। उन्होंने नारी-वर्णन बड़ी कोमल भावना से किया है। उनकी रचनाओं में उज्जयिनी के प्रति उनका लगाव झलकता है। वे इस नगर से अच्छी तरह परिचित रहे होंगे।
विद्वानों का मत है कि विद्वता की छाप तो उनकी सभी कृतियों पर है तथापि उनका नाटक, अभिज्ञान शाकुंतलम् उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है। कालिदास शेक्सपियर और गेटे के समकक्ष हैं तथा साहित्य के संसार में अमर हैं।

कालिदास संसार के महानतम कवियों में गिने जाते हैं परंतु उन्होंने शिक्षा नाम मात्र को भी नहीं पाई थी– उतनी भी नहीं जो सामान्य ब्राह्मण बालकों को उस जमाने में दी जाती थी। उनके माता-पिता उन्हें पाँच वर्ष का ही छोड़कर चल बसे थे। उनका लालन-पालन किसी दयालु ग्वाले ने किया। वह भी अशिक्षित था। कालिदास पशुओं की देखभाल में उनका हाथ बँटाते थे।

खाने में दूध दही और मक्खन की कमी नहीं थी। सो कालिदास बड़े गठीले जवान निकले। किंतु वे अनपढ़ देहाती ही।
गाय चराने से जो समय मिलता उसमें वे गांव के काली के मन्दिर में जाकर पूजा किया करते थे। इसी से उनका नाम कालिदास पड़ा।

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