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जूलियस सीजर

शेक्सपियर

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4841
आईएसबीएन :9789350642108

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Juilus Caesar का हिन्दी रूपान्तर

Julius Caesar - A Hindi Book by Shakespeare

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

विश्व साहित्य के गौरव, अंग्रेज़ी भाषा के अद्वितीय नाटककार शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 ई. को इंग्लैंड के स्ट्रैटफोर्ड-न-ऑए वोन नामक स्थान में हुआ। उनके पिता एक किसान थे और उन्होंने कोई बहुत उच्च शिक्षा भी प्राप्त नहीं की। इसके अतिरिक्त शेक्सपियर के बचपन के बारे कम जानकारी उपलब्ध है। 1582 ई. में उनका विवाह अपने से आठ वर्ष बड़ी ऐन से हैथवे से हुआ। 1587 ई. में शेक्सपियर लंदन की एक नाटक कम्पनी में काम करने लगे। वहाँ उन्होंने अनेक नाटक लिखे जिनसे उन्होंने धन और यश दोनों कमाए। 1616 ई. में उनका स्वर्गवास हुआ।

प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रांगेय राघव ने शेक्सपियर के दस नाटकों का हिन्दी अनुवाद किया है, जो इस सीरीज़ में पाठकों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

भूमिका

जूलियस सीज़र एक दुःखान्त नाटक है। शेक्सपियर ने इसे अपने साहित्यिक जीवन के तीसरे काल सन् 1601 से 1604 ई. के बीच लिखा था, तथा उसमें निराशा, वेदना और तिक्तता अधिक मिलती है।

कथा का स्रोत सर टामस नार्थ द्वारा अनूदित ‘प्लूटार्क की सीज़र, ब्रूटस तथा ऐण्टोनी की जीवनियाँ’ नामक पुस्तक से लिया गया है; प्लूटार्क ईसवी पहली शती का यूनानी लेखक था। उसने अनेक प्रसिद्ध ग्रीक तथा रोम-निवासियों के जीवन-चरित्र लिखे थे। सर टामस ने प्लूटार्क की ग्रीक भाषा की रचना के एक फ्रेंच अनुवाद से अनुवाद किया था। फ्रेंच अनुवादक का नाम जेक्विस अमयोत् था। वह अक्ज़ियर का पादरी था। इसी स्रोत से कथाएँ लेकर शेक्सपियर ने अपने तीन नाटक लिखे-जूलियस सीज़र, ऐण्टोनी एण्ड क्लियोपैट्रा तथा कोरियोलैनस। 1578 ई. में अनूदित ‘गृह-युद्ध’ नाटक तथा एपियन के इतिहास से भी ‘जूलियस सीज़र’ में मदद ली गई है। कुछ लोगों का मत है, शेक्सपियर से पूर्व स्टर्लिंग ने अंग्रेज़ी में जूलियस सीज़र कथानक पर नाटक लिखा था।

मूलतः यह एक राजनीतिक नाटक है। इसमें स्त्री पात्रों का विशेष महत्त्व नहीं है, किन्तु फिर भी यह अपने बहुपात्रों को लेकर भी एक आकर्षक नाटक है। इसमें राज्य, प्रजा और स्वतन्त्रता के प्रश्न पर गहरा विवेचन किया गया है। ब्रूटस का खलनायकत्व ऐसी कुशलता से चित्रित है कि उसे देखकर घृणा नहीं होती किन्तु वेदना से हमारा हृदय व्याकुल हो उठता है। सीज़र तो बीच में ही मर जाता है, किन्तु लेखक ने अन्त तक ऐसा चित्रण किया है कि मरने पर भी वह हमारी आँखों के सामने रहता है और इस प्रकार नायक की अनुपस्थिति में भी नायक अनुपस्थित-सा नहीं दिखाई देता।

‘जूलियस सीज़र’ मनुष्यों के स्वार्थों और आवेशों का ही नहीं, न्याय और सापेक्ष सत्यों का एक अत्यन्त आकर्षक प्रदर्शन है।

- रांगेय राघव

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