मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
इसलिए मैं तंबूघर गया। वहां से दो रॉकेट ले आया और उन्हें मैंने आग लगाकर अन्दर फेंक दिया। रॉकेटों के दगते ही बहुत जोर की आवाज और बिजली कौंधने जैसी रोशनी हुई। उस रोशनी से गुफा के अन्दर की झलक-भर मिल पाई। तब मैंने फिर सूखी घास जलाकर अन्दर फेंकी। इस बार पहले की तरह नहीं हुआ। घास अन्दर जलती रही। इससे पता चला कि अन्दर की जहरीली गैस रॉकेटों के दगने से साफ हो गई है। घास के जलने से अन्दर जो रोशनी हुई उसमें हमें कुछ अधिक देर तक गुफा के अन्दर देखने का मौका मिला। गुफा बहुत बड़ी थी और बड़ी ही सुंदर थी।
अब हमें मोमबत्ती की जरूरती थी और मोमबत्ती तंबूघर में थी नहीं। उनका स्टाक 'घोंसले' में ही था। इसलिए मैंने जैक से जल्द से जल्द वहां जाकर मोमबत्ती का पैकेट लाने को कहा। उसे लौटाने में तीन-चार घंटे का समय लग गया। जब वह लौटा तो उसके साथ उसकी मां और नन्हा फ्रांसिस भी था। सभी के चेहरों पर खुशी छाई हुई थी।
जब सब लोग इकट्ठे हो गए तो हमने गुफा के अन्दर जाने का निश्चय किया। सभी ने एक-एक जलती हुई मोमबत्ती हाथ में ले ली और गुफा में प्रवेश किया। सबसे आगे मैं था, मेरे बाद बच्चे थे और सबसे पीछे मेरी पत्नी। सभी के मन में भय और कौतूहल का एक मिलाजुला भाव उमड़ा हुआ था। यहां तक कि हमारे कुत्ते भी बिल्कुल चुप थे। हम कुछ ही कदम गुफा के अन्दर बड़े होंगे कि आश्चर्य और विस्मय से भर उठे। वहां का दृश्य बड़ा ही अद्भुत और खूबसूरत था। हर एक कोना हीरे की तरह चमक रहा था और हमारी मोमबत्तियों की रोशनी उन पर इस तरह पड़ रही थी मानो आतिशबाजी छुड़ाई जा रही हो। गुफा की अंदररूनी छत में फानूसनुमा बहुत से कंगूरे नीचे की ओर लटके हुए थे। ऐसा लग रहा था जैसे यह कोई प्राकृतिक गुफा नहीं, बल्कि बड़े परिश्रम से बनाया गया महल या परियों का निवास स्थान हो। हम लोग जैसे-जैसे जिस-जिस तरफ मुड़ते थे, मोमबत्तियों की रोशनी भी उसी तरफ मुड़ती जाती थी। इस अंधेरी और भव्य गुफा में रोशनी का यह खेल बड़ा ही अद्भुत और मनोहर लग रहा था जैसे स्वप्न देख रहे हों। गुप्ता का फर्श एकदम समतल था और उस पर सफेद रंग की मुजैकनुमा डिजाइन बनी हुई थी। सीलन का तो नाम तक न था। गुफा के अन्दर का पूरा निरीक्षण करने के बाद हमने यह तय किया कि पहले हमें अपनी जुरूरत के अनुसार इसकी मरम्मत करनी चाहिए, तभी यहां आना ठीक रहेगा। अगले दिन से हमने गुफा की मरम्मत का काम शुरू कर दिया।
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