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मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...


सबसे पहले जमीन पर पहुंचे टर्क और फ्लोरा, उनके बाद कबूतर और बत्तखें, और सबसे बाद में हमारी आठ खाने वाली नाव! तट पर पहुंचते ही झुण्ड के झुण्ड नारियल के पेड़ देखकर बच्चे उछल पड़े और बोले, ''आहा, नारियल का पानी पीने और ताजी गिरी खाने में कितना मजा आएगा !''

तट पर पहुंचने के बाद हमें कोई परेशानी नहीं हुई। जहाज का फटा हुआ पाल हमारे साथ था ही। इसलिए तट से थोड़ा हटकर एक चट्टान की बगल में हमने एक तंबू खड़ा कर लिया। इधर मैंने तंबू लगाया और उधर पत्नी ने सारा सामान ठीक-ठाक जमा लिया। इधर-उधर पडे पत्थर के टुकड़े इकट्ठे करके मैंने एक चूल्हा बनाकर, आग जला दी। अब पत्नी प्रसन्न मन से खाने के इंतजाम में लग गई।

थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि फ्रिट्ज, अर्नेस्ट और जैक मगन मन चले आ रहे हैं। जब वे पास आ गये तो मैंने देखा कि फ्रिट्‌ज चट्टानों पर से समुद्री नमक, अर्नेस्ट कुछ बड़ी-बड़ी सीपेँ और जैक एक ताजा मछली ले आया था। मेरा और पत्नी का मन बाग-बाग हो उठा। ये तीनों चीजें हमारे बड़े काम की थीं। मछली और नमक जहाँ हमारे भोजन की चीजें थीं, वहीं उन बड़ी-बड़ी सीपों से तश्तरियों का काम लिया जा सकता था।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. दो
  3. तीन
  4. चार
  5. पाँच
  6. छह
  7. सात
  8. आठ
  9. नौ
  10. दस

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