बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
"क्या ऐसा संभव नहीं कि हम तीनों यहीं एक साथ रहें?" सीता बोली, "जिए तो साथ, मरें तो साथ।"
राम हंसे, "मरने की बात मत करो, और जिएंगे तो साथ-ही-साथ। तुम्हें युद्ध भी करना है और युद्ध की अवधि में घायलों की चिकित्सा भी करनी है। हमारी सेना की एकमात्र शल्य-चिकित्सक तुम हो। तुम्हारा यहां मेरे पास रहने का अर्थ होगा-घायलों को युद्ध के केन्द्र में लाना, अर्थात् तुम्हारी तथा घायल सैनिकों की असुरक्षा।"
सीता चिंतामग्न हो गयीं।
"अब सोचो मत।" राम बोले, "जओ, सौमित्र! तुरंत व्यूह परिवर्तन करना है। तुम्हारी वाहिनी के स्थान पर मैं दूसरे लोगों को भेज रहा हूं। शीघ्रता करो। अपराह्न तक राक्षसों के आक्रमण की सूचना है।"
सीता और लक्ष्मण चले गए तो राम ने जन-वाहिनी की अनेक टुकड़ियों को स्थान-परिवर्तन के संदेश भिजवाए; और अंत में अनिन्द्य को बुला भेजा। अनिन्द्य आया तो बहुत उल्लसित था, "सारी व्यवस्था हो गयी है, भद्र राम! अब कोई संकट भले आए, अपने सैनिकों को जल का संकट मैं नहीं आने दूंगा।''
"साधु अनिन्द्य!" राम बोले, "अब एक अतिरिक्त दायित्व संभालो।"
"आदेश दें।"
"जिस मार्ग को तुम्हें तथा तुम्हारे साथियों को निष्कंटक रखना है, उसका संकट की स्थिति में जल लाने के अतिरिक्त एक उपयोग और करना है।" अनिन्द्य ने गहरी दृष्टि से राम को देखा।
"सीता तथा उनका चिकित्सा-कुटीर आश्रम के पीछे की छिपी कंदराओं में भिजवा दिया गया है। सौमित्र अपनी वाहिनी के साथ रक्षा के लिए वही हैं।..."
"कोई विशेष बात?" अनिन्द्य ने पूछा, और अगले ही क्षण सकपका-कर बोला, "यदि यह कोई गोपनीय बात न हो तो।"
"तुम्हारे लिए गोपनीय नहीं है," राम बोले, "राक्षस सीता का अपहरण करना चाहते हैं, और सौमित्र का वध।"
अनिन्द्य थोड़ा विचलित हुआ, किंतु तुरंत सभलकर बोला, "भुझे क्या करना होगा?"
"कोई ऐसी अवस्था आयी कि सीता तथा लक्ष्मण को सुरक्षा के
लिए गोदावरी के मार्ग से यात्रा करनी पड़े तो तुम्हारे द्वारा रक्षित मार्ग गोदावरी तक जाने के लिए उपलब्ध होगा।"
"ऐसा ही होगा।" अनिन्द्य निष्कंप स्वर में बोला, "आप मेरा विश्वास करें राम! आपके आदेश के एक-एक शब्द का पालन होगा।"
"जाओ, मित्र!" राम शांत थे, "मेरी सूचनाओं के अनुसार, अब युद्ध में अधिक विलंब नहीं है।"
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