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सामाजिक >> न्याय अन्याय

न्याय अन्याय

विमल मित्र

प्रकाशक : राजभाषा प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5842
आईएसबीएन :81-811-014-4

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इस विश्व के सृष्टिकर्ता जब किसी मनुष्य को दुनिया में भेजते हैं, भेजने के साथ ही मन नामक एक वस्तु उसके अंदर डाल देते हैं और कहते हैं, ‘‘अब जाकर संघर्ष करो...’’

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