विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
ध्यान के लिए उपयुक्त समय
प्रतिदिन कम से कम दो बार अभ्यास करना चाहिए, और उस अभ्यास का उपयुक्त समय है प्रात: और सायं। जब रात बीतती है और पौ फटती है तथा जब दिन बीतता है और रात आती है, इन दो समयों में प्रकृति अपेक्षाकृत शान्त होती है।
सुबह तथा सायंकाल की प्रारम्भिक वेलायें ही प्रशान्ति की होती हैं। इन समयों में तुम्हारे शरीर की शान्त रहने की प्रवृत्ति रहेगी। हमें उस सहज अवस्था का लाभ उठाना चाहिये और तब साधना में प्रवृत्त होना चाहिये।
यह नियम बना लो कि साधना किये बिना भोजन न करोगे। ऐसा निमय बना लेने पर भूख का प्रबल वेग ही तुम्हारा आलस्य नष्ट कर देगा।
भारतवर्ष में बालक यही शिक्षा पाते हैं कि स्नान-पूजा और साधना किये बिना भोजन नहीं करना चाहिए। कालान्तर में यह उनके लिए स्वाभाविक हो जाता है, उनकी जब तक स्नान-पूजा और साधना नहीं हो जाती, तब तक उन्हें भूख नहीं लगती। (१.५६)
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