विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
समाधि का रहस्य
शिष्य- क्या निःशेष समाधि या परम निर्विकल्प समाधि प्राप्त होने पर, कोई फिर अहं ज्ञान का आश्रय लेकर द्वैतभाव के राज्य में - इस संसार में नहीं लौट सकता?
स्वामीजी - श्रीरामकृष्ण कहा करते थे कि एकमात्र अवतारी पुरुष ही जीव की मंगलकामना कर ऐसी समाधि से लौट सकते हैं। साधारण जीवों का फिर व्युत्थान नहीं होता। (६.९९-१००)
शिष्य - मन के विलुप्त होने पर जब समाधि होती है, मन में जब कोई लहर नहीं रह जाती, तब फिर विक्षेप अर्थात् अहंज्ञान का आश्रय लेकर संसार में लौटने की क्या सम्भावना? जब मन ही नहीं रहा तब कौन या किसलिए समाधि अवस्था को छोड़कर द्वैतराज्य में उतरकर आयेगा?
स्वामीजी - वेदान्त शास्त्र का अभिप्राय यह है कि निःशेष निरोध समाधि से पुनरावृत्ति नहीं होती; परन्तु अवतारी लोग जीवों के मंगल के निमित्त एक-आध सामान्य वासना रख लेते हैं। उसीके आश्रय से ज्ञानातीत अद्वैतभूमि से वे 'मै तुम' की ज्ञानमूलक द्वैतभूमि में उतर आते हैं। (६.१००)
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