विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
ध्यान का प्रभाव
दिन-रात ब्रह्म-विषय का अनुसन्धान किया करो। एकाग्र मन से ध्यान किया करो और शेष समय में या तो कोई लोकहितकर काम किया करो या मन ही मन सोचा करो कि 'जीवों का - जगत् का उपकार हो। सभी की दृष्टि ब्रह्म की ओर लगी रहे।' इस प्रकार लगातार चिन्तन की लहरों के द्वारा ही जगत् का उपकार होगा। जगत् का कोई भी सदनुष्ठान व्यर्थ नहीं जाता, चाहे वह कार्य हो या चिन्तन। तुम्हारे चिन्तन से ही प्रभावित होकर सम्भव है कि अमेरिका के किसी व्यक्ति को ज्ञानप्राप्ति हो। (६.२००-२०१)
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